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सांता क्लॉज हाउस

सपनों को सच करती दुनिया

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श्रुति अग्रवाल

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सफेद दाड़ी, लाल मखमली कपड़े, कंधे पर तोहफों से भरा झोला... यह सुनकर ही मन में छवि उभरने लगती है बच्चों के प्यारे सांता क्लॉज की। बचपन से लेकर आज तक हम किस्से-कहानियों में सांता क्लॉज नामक जीवंत, खुशमिजाज किरदार को सुनते, समझते आए हैं, लेकिन दुनिया में एक ऐसी जगह है, जहाँ इस किरदार को महसूस किया जा सकता है। इनकी स्वप्नीली दुनिया में वक्त बिताया जा सकता है। जी हाँ, यहाँ हम बात कर रहे हैं सांता क्लॉज के नार्थ पोल स्थित सांता हाउस की।

  इसी बीच कोन के पास एक पुराना सांतासूट बिकने के लिए आया। कोन ने सूट बेचने की जगह क्रिसमस के दिन पहन लिया और जल्द ही वह बच्चों के बीच सांता क्लॉज के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस तरह संत निक को नार्थ पोल में पहली बार ख्याति मिल ही गई।       
इस घर को निहारना बच्चों के लिए एक अनोखे ख्वाब के सच होने के समान है। इस ख्वाबगाह की नींव आज से लगभग 55 साल पहले निक कोन और नैली मिलर ने रखी थी। आँखों में भविष्य से जुड़े सुनहरे सपने, साथ में दो भूखे बच्चे और हाथ में केवल 1 डॉलर 40 सैंस लिए ये पति-पत्नी काम की तलाश में 1949 को फेयरबैंक से अलास्का आए थे।

एक ऐसी जगह जीवन की नई शुरुआत करना जो शेष विश्व से कटा हो, बेहद कठिन था। लेकिन कोन ने जल्द ही आस-पास के गाँवों में फर खरीदने-बेचने का व्यापार शुरू कर दिया। इसी बीच कोन के पास एक पुराना सांतासूट बिकने के लिए आया। कोन ने सूट बेचने की जगह क्रिसमस के दिन पहन लिया और जल्द ही वह बच्चों के बीच सांता क्लॉज के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस तरह संत निक को नार्थ पोल में पहली बार ख्याति मिल ही गई।

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बच्चों से मिले प्यार और सम्मान से अभिभूत मिलर दंपति ने फैसला किया कि वे बच्चों के लिए सांता क्लॉज के नाम से पोस्ट (पत्र) लिखने का काम शुरू करेंगे। और उन्होंने नवविकसित हो रहे नार्थ पोल से फेयरबैंक तेरह पत्र भेजे। इन पत्रों की खासियत यह थी कि इन्हें कोन मिलर ने अपने नहीं बल्कि सांता क्लॉज के नाम से भेजा था। इसके बाद कोन के साथ एक अजीब वाकया हुआ।

वह अपनी दुकान में काम कर रहा था कि अलास्का निवासी एक ग्रामीण बच्चे ने उसे पहचानकर पूछा “हलो, सांता क्लॉज, क्या आप नया घर बना रहे हैं” बस फिर क्या था कोन के दिमाग में एकाएक विचार कौंधा कि क्यों न सांता क्लॉज हाउस बनाया जाए। फिर जो हुआ वो आज हम सभी के सामने है। 1952 में सांता क्लॉज के नाम से किया गया अभिनव प्रयोग आज पूरे विश्व में प्रसिद्धी पा चुका है। सांता को चाहने वाले बच्चों को हर क्रिसमस पर इंतजार रहता है एक चिट्ठी का, जिसे खास तौर पर उनके लिए सांता क्लॉज हाउस से भेजी जाती है।

यदि आप भी उन हजारों लोगों में से एक हैं, जो हर साल सांता क्लॉस हाउस का दीदार करने नार्थ पोल आते हैं तो आप जान सकते हैं कि मिलर फैमली ने इस सांता क्लॉज को जीवंत करने के लिए कितने अभिनव प्रयास किए हैं।

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सामाजिक योगदान- कोन मिलर एक नेक और हिम्मती व्यक्ति थे। उनके प्रयासों के कारण शेष विश्व से कटे नार्थ पोल को विश्व में पहचान मिली। सांता क्लॉज हाउस से होने वाली कमाई से कोन मिलर ने नार्थ पोल को सँवारने में लगाया। वे नार्थ पोल में 19 साल तक मेयर बने रहे।

उनकी पत्नी नैली मिलर भी लंबे समय तक मैरिज कमिशनर के पद पर कार्यरत रहीं। सांता क्लॉज हाउस के अलावा उन्होंने हजारों जोड़ियों की शादी भी करवाई। कोन और नेली के मरने के बाद उनके दोनों बेटो मिक मिलर औऱ स्वर्गवासी टैरी मिलर ने पूरी योग्यता के साथ सांता क्लॉज हाउस का काम आगे बढ़ाया। इस तरह मिलर दंपति ने अपने प्यारे से सपने को सच किया जो हमारे सामने सांता क्लॉज हाउस के रूप में विद्यमान है

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