दुनिया की पाँचवीं बड़ी नौसेना
1971
के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के एक दस्ते ने कराची बंदरगाह
पर जबरदस्त आक्रमण किया और पाकिस्तानी नौसेना के कई युद्धपोत कराची बंदरगाह में डुबो दिए गए। भारतीय नौसैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर कराची बंदरगाह के नजदीक जाकर मिसाइलों से कराची बंदरगाह पर हमला कर दिया। बंदरगाह पर विनाश की जो वीरता भारतीय नौसैनिकों ने दिखाई वह इतिहास के पन्नों पर अमिट हो गई। हर वर्ष 4 दिसंबर को देश 'नेवी डे' मनाकर इन रणबाँकुरों के शौर्य और उनकी कर्त्तव्यनिष्ठा को पुष्पांजलि समर्पित कर आदर प्रकट करता है।
भारतीय नौसेना की क्षमताएँ
* भारतीय नौसेना में 55 हजार कर्मचारी हैं जो मोर्चे पर तैनात हैं जिसमें पाँच हजार कर्मचारी नेवल एविएशन के व 2000 मरीन कमांडो हैं।
* 155 से ज्यादा युद्धपोत व अन्य नावें हैं जिनमें आईएनएस विराट भी शामिल है जो कि एयरक्राफ्ट करियर है।
नौसेना के तीन क्षेत्रीय कमांड
* ईस्टर्न नेवल कमांड (विशाखापट्टनम)
* वेस्टर्न नेवल कमांड (मुंबई)
* साउदर्न नेवल कमांड (कोच्चि)
इसके अलावा नेवी, आर्मी और एयरफोर्स की एक कमान अंडमान-निकोबार में वर्ष 2001 में स्थापित की गई।
युद्धपोत और हथियार
भारतीय नौसेना इन दिनों आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रही है। वर्ष 2013 तक भारतीय नौसेना पूरी तरह आधुनिक रूप ले लेगी।
युद्धपोत
भारतीय नौसेना के पास काफी बड़े युद्ध पोत हैं तथा इनका नामकरण आईएनएस (इंडियन नेवलशिप) से होता है। नौसेना के पास भारतीय के अलावा विदेशों से लिए जहाज व पनडुब्बी भी हैं। फिलहाल नौसेना दिल्ली व राजपूत क्लास के विध्वंसक पोत प्रयोग कर रही है जिसमें तलवार क्लास, गोदावरी क्लास तथा ब्रह्मपुत्र शामिल हैं। इसके अलावा किव क्लास एयरक्राफ्ट करियर जिसे रूस से प्राप्त किया है, इसका पहले नाम एडमिरल गोर्शकोव था जिसे बदलकर आईएनएस विक्रमादित्य कर दिया गया है।
वर्ष 2012 में आईएनएस विराट सेवानिवृत्त होगा और उसकी जगह भारत में ही बने विक्रांत क्लास एयरक्राफ्ट करियर लेंगे। वर्ष 2006 में भारत ने 16,900 टन का यूएसएस ट्रिनीटान खरीदा जो कि आस्टिन क्लास ट्रांसपोर्ट डॉक है। इसका नाम आईएनएस जलाश्व कर दिया है जिसे 22 जून 2007 में कमीशन में लिया गया। छह एच-3 सी किंग हेलिकॉप्टर भी खरीदे हैं।
16 पनडुब्बियाँ : नौसेना के पास 16 डीजल चलित पनडुब्बियाँ हैं। ये मुख्य रूप से रूस व जर्मनी की हैं। भारत ने छह स्कॉर्पियन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण आरंभ कर दिया है जो कि एयर इंडिपेंडेंट प्रपलशन से युक्त होंगी और इन्हें भारतीय नौसेना में 2010-11 से शामिल किया जाएगा। नौसेना अपनी पनडुब्बियों में ब्रह्मोज क्रूज मिसाइल लगाने जा रहा है।
(नईदुनिया)
रूस की मदद
भारत ने वर्ष 1985 से परमाणु पनडुब्बी बनाने का काम आरंभ किया और वर्ष 88 में रूस से प्राप्त परमाणु पनडुब्बी से इस प्रोजेक्ट में काफी सहायता मिली। इस प्रोजेक्ट की आरंभिक डिजाइन भी रूस से ही प्राप्त की गई। इस प्रोजेक्ट का नाम 'एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल' (एटीवी) रखा गया है। न्यूक्लियर रिएक्टर पनडुब्बी के हल में लगा दिया गया है तथा प्रोटोटाइप टेस्टिग सेंटर(पीटीसी), जो कि इंदिरा गाँधी सेंटर फॉर एटोमिक रिसर्च कलपक्कम में स्थित है, पर इसके टर्बाइन व प्रोपेलर का परीक्षण किया जा रहा है।
मुख्य टर्बाइन तथा गियर बॉक्स का परीक्षण विशाखापट्टनम में चल रहा है। यही नहीं भारत ने दो आकुला-2 क्लास की पनडुब्बियों के लिए रूस से समझौता किया है जो कि 60 प्रतिशत पूर्ण भी हो चुकी हैं। इस संबंध में नौसेना के 300 कर्मचारी रूस में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी सितंबर 2009 में कमीशन होगी।
नौसेना की हवाई क्षमता
नौसेना की हवाई शाखा में सी-हेरियर जेट है जो कि आईएनएस विराट व आईएनएस जलाश्व से उड़ान भरते हैं। कुछ दिनों पूर्व ही इन जेट्स में बियांड विजुवल रेंज मिसाइल लगाई गई है। कामोव 31 हेलिकॉप्टर हवाई हमले की पूर्व सूचना देने में सक्षम है तथा इनका उपयोग एंटी सबमरीन कार्यों के लिए किया जाता है। नौसेना के मारकोस कमांडो सी किंग व एचएएल ध्रुव हेलिकॉप्टरों का प्रयोग करते हैं। नौसेना हवाई जहाज ट्यूपोलेव 142, इल्यूशिन 38 तथा डोर्नियर डो 228 व एचएएल चेतक हेलिकॉप्टर्स का प्रयोग भी करती है।
भविष्य की तैयारी
* वर्ष 2012 तक आठ पी-81 हवाईजहाज शामिल किए जाएँगे।
* तीसरे एयरक्राफ्ट केरियर का काम वर्ष 2010 में आरंभ होगा और इसे वर्ष 2017 तक नौ-सेना में शामिल किया जाएगा।
* वर्ष 2012 तक छः एंटी सबमरीन वारफेयर से युक्त हवाईजहाज शामिल करना।
* चेतक हेलिकॉप्टर को यूएवी (अनमेंड ऐविएशन व्हीकल) का स्वरूप देना।
* 16 मल्टी रोल हेलिकॉप्टर भी शामिल करने की योजना जिनकी संख्या 60 भी हो सकती है।
* आठ माइन काउंटरमेजर वेसल्स भी शामिल करने वाली है।
नौसेना के छः भाग
1. प्रशासकीय, 2. लॉजिस्टिक व मटैरियल, 3. ट्रेनिंग, 4. द फ्लीट, 5. द नेवल एविएशन, 6. द सबमरीन आर्म