कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है, क्योंकि रविवार को एक पखवाड़े से अधिक समय में पहली बार नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर किसी भी सेक्टर से गोलीबारी की कोई खबर नहीं आई। भारत और पाकिस्तान ने शनिवार शाम को संघर्ष विराम पर सहमति जताई, जिससे कई दिनों से सीमा पार से हो रही भीषण गोलाबारी खत्म हो गई, जिसके कारण हजारों निवासियों को सुरक्षित क्षेत्रों में पलायन करना पड़ा था। बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा पर कई गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ।
अधिकारियों ने पुष्टि की कि कश्मीर क्षेत्र में 350 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की कोई खबर नहीं है, जो बारामूला, कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों से होकर गुजरती है। उरी में लोग अपने घरों और मुख्य शहर की दुकानों पर लौटने लगे हैं।
उरी के इरशाद अहमद ने , जो गोलाबारी के कारण तीन दिन पहले बारामुल्ला शहर चले गए थे कहा कि चार दिनों के बाद, यहाँ बाजार खुल गया है। शांति तो लौट आई है, लेकिन लोग अभी भी डरे हुए हैं। उम्मीद है कि यह शांति बनी रहेगी।” उसने कहा कि पिछले एक पखवाड़े में हुई हिंसा के दौरान कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और जनजीवन पटरी से उतर गया।
गिंगल के मंजूर अहमद ने कहा कि शत्रुता के दौरान बच्चों को सबसे खराब मनोवैज्ञानिक आघात का सामना करना पड़ा। उसने कहा, "जब 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के तुरंत बाद गोलाबारी शुरू हुई, तो हमने सोचा कि यह एक या दो दिन में खत्म हो जाएगी। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह दशकों में सबसे भारी गोलाबारी थी। हमारे बच्चे डर से काँप रहे थे। हमें उन्हें बारामुल्ला और श्रीनगर में रिश्तेदारों के घर भेजना पड़ा। वे इस आघात को कभी नहीं भूलेंगे।'
मंजूर ने इस बात पर जोर दिया कि जब भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो सीमावर्ती निवासियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। उसने कहा, "यह शांति अस्थायी नहीं, बल्कि स्थायी होनी चाहिए। केवल हम सीमावर्ती निवासी ही सही मायने में समझ सकते हैं कि तनाव का क्या मतलब है।"
केवल उरी में ही पिछले सप्ताह की गोलाबारी में एक महिला की मौत हो गई और 15 से अधिक लोग घायल हो गए।कुछ गांव बुरी तरह प्रभावित हुए और कई घर नष्ट हो गए। उल्लेखनीय है कि नियंत्रण रेखा के अन्य इलाकों में भी धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर वापसी हो रही है। इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma