नई दिल्ली:12 जुलाई 1982 को चेन्नई में पैदा हुए भारत के शीर्ष टेबल टेनिस खिलाड़ी शरत कमल ने पाकिस्तानी खिलाड़ी को 22 मिनट में परास्त कर टोक्यो ओलंपिक का टिकट पाया था।
एशियाई ओलंपिक क्वालीफाईंग टूर्नामेंट के पुरुष एकल के दूसरे राउंड रोबिन मैच में पाकिस्तान के मोहम्मद रमीज को 11-4, 11-1, 11-5, 11-4 से हराकर टोक्यो ओलंपिक का टिकट हासिल कर लिया।
अंचत शरत कमल ने अपनी योग्यता तब से साबित करनी शुरु कर दी थी जब उन्होंने तमिलनाडू राज्य के सीनियर वर्ग में कब्जा कर लिया था। साल 2003 में ही शरत ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत ली।
इसके बाद साल 2004 में हुई क्वालालंपुर में 16वीं राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने साल 2006 राष्ट्रमंडल खेलों में एकल और युगल स्वर्ण जीते। साल 2010 में उन्होंने युगल में स्वर्ण और एकल में कांस्य जीता। गोल्डकास्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने एकल में कांस्य, पुरुष युगल में रजत और टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के कर्मचारी शरत कमल ने टोक्यो जाने से पहले एक साक्षात्कार में अपने भविष्य के बारे में बात की।
टोक्यो ओलंपिक से पहले अपने करियर के शिखर पर हूं : शरत कमल
शरत कमल ने सोचा था कि टोक्यो उनका चौथा और अंतिम ओलंपिक होगा लेकिन अपने दो दशक के करियर में उन्होंने अब से पहले इतना फिट और बेहतर महसूस नहीं किया था जिससे यह भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी भविष्य की योजना पर फिर से विचार कर रहा है।
टोक्यो ओलंपिक के लिये रवानगी से पहले पीटीआई से बात करते हुए दुनिया के 32वें नंबर के खिलाड़ी ने कहा कि वह इस समय खुद को अपने खेल के शिखर पर देखते हैं।
शरत 39 वर्ष के हैं और अपने परिवार देखते हुए पहले उनका लक्ष्य 2022 एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों के बाद रूकने का था लेकिन अब वह 2024 पेरिस ओलंपिक में खेलने की संभावना से भी इनकार नहीं कर सकते। उनका कहना है कि अगर जर्मनी के टिमो बॉल (विश्व रैंकिंग में 10वें स्थान पर) अपनी 40 की उम्र में भी खेल सकते हैं तो वह भी ऐसा कर सकते हैं।
उन्होंने हसंते हुए कहा, मेरी पत्नी के हिसाब से यह मेरा अंतिम ओलंपिक होगा। शरत ने कहा, लेकिन देखते हैं कि अगले साल राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों तक शरीर कितना फिट रहता है। मुझे लगता है कि मैं शारीरिक और मानसिक रूप से अपने खेल में इस समय शिखर पर हूं। शरत ने 2004 एथेंस ओलंपिक में पदार्पण किया था और तब से केवल एक ओलंपिक (लंदन 2012) में नहीं खेले हैं।
उन्होंने कहा, इस बार मुझे लगता है कि मैं बतौर खिलाड़ी बेहतर हुआ हूं और मेरी रैंकिंग में यह दिखता है। 2016 में मेरे गेम का स्तर ऐसा था जिससे मैं ओलंपिक में राउंड 16 या क्वार्टरफाइनल नहीं खेल सकता था। लेकिन अब दिन अच्छा रहे तो मैं ऐसा कर सकता हूं।
शरत ने पिछले साल मार्च में कोविड-19 के कारण लगे ब्रेक से पहले मस्कट ओपन जीतकर आईटीटीएफ खिताब के लिये एक दशक का इंतजार खत्म किया था। उन्होंने पिछला खिताब 2010 में जीता था।(वेबदुनिया डेस्क/भाषा)