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1971 War: ‘भुज’ के एयरबेस कमांडर की कहानी, जिसकी ‘शौर्य गाथा’ आपके रोंगटे खड़े कर देगी

हमें फॉलो करें 1971 War:  ‘भुज’ के एयरबेस कमांडर की कहानी, जिसकी ‘शौर्य गाथा’ आपके रोंगटे खड़े कर देगी

नवीन रांगियाल

पाकिस्‍तानी वायुसेना ने भुज का एयरबेस डि‍स्‍ट्रॉय कर दिया था, ऐसे में भारतीय वायुसेना के लिए एयरबेस से उड़ान भरना और ऑफिसर्स को लाना मुश्‍किल हो गया था, उस समय विजय कर्णि‍क भुज एयरबेस के विंग कमांडर थे। उनके नैतृत्‍व में भुज की मजदूर महिलाओं ने कुछ ही घंटों में एयरबेस को तैयार कर दिया, जिसके बाद पाकिस्‍तान के साथ जंग के दौरान भारत के इस एयरबेस का ऑपरेशन पूरी तरह से कामयाब रहा।

1971 का साल था। भारत की पाकिस्‍तान के साथ ऐतिहासिक जंग हो रही थी, इस जंग में पाकिस्‍तान ने इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के बेस पर लगातार करीब 14 दिनों तक बम बरसाए थे। इस आपॅरेशन को पाकिस्‍तान ने ऑपरेशन चंगेज खां नाम दिया था। लेकिन भारतीय वायु सेना के शौर्य की गाथा पूरी दुनिया जानती है। उस समय वायु सेना में स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कर्णिक थे, उन्‍होंने इस जंग में पाकिस्‍तान के साथ जो किया उसे सुनकर रोंगटे खड़े  हो जाएंगे।

बेस कंमाडर के रूप में विजय कर्णिक ने पाकिस्‍तान के साथ जंग के दौरान जो भूमिका निभाई, वो आज भी मिसाल के तौर पर याद की जाती है।

जब पाकिस्‍तान के साथ हुई जंग
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्‍तान एयरफोर्स ऑपरेशन चंगेज खां लॉन्‍च कर दिया था, इस ऑपरेशन के साथ ही पाकिस्‍तान की भारत के साथ युद्ध की शुरुआत हो गई। पाकिस्‍तानी वायुसेना ने भारतीय वायुसेना की 11 एयरफील्‍ड्स को निशाना बनाया था, जिसमें कश्‍मीर में स्थित संस्‍थान भी शामिल थे। पाकिस्‍तान ने अमृतसर, अंबाला, आगरा, अवंतिपोरा, बीकानेर, हलवारा, जोधपुर, जैसलमेर, पठानकोट, भुज, श्रीनगर और उत्‍तरलाई के अलावा अमृतसर स्थित एयर डिफेंस रडार्स और फरीदकोट में भी हमले किए।

हालत यह हो गए कि उस समय की भारतीय पीएम इंदिरा गांधी ने देश के नाम अपने संबोधन में पाकिस्‍तान के साथ युद्ध की घोषणा कर दी थी।

पाकिस्‍तान ताबड़तोड़ भारत में कई स्‍थानों पर हमले कर रहा था। साथ ही पाकिस्‍तान ने गुजरात के कच्‍छ में स्थित भुज के रुद्र माता एयरफोर्स बेस पर भी हमला बोल दिया। पीएएफ ने इस एयरबेस पर 14 दिनों तक 35 बार हमला किया। हमले में उसने 92 बमों और 22 रॉकेट्स को दागा। 72 घंटे के अंदर 300 महिलाओं को इस एयरबेस को फिर से तैयार करने का जिम्‍मा सौंपा गया। पास के मधापुर गांव की इन महिलाओं ने इसे फिर से तैयार किया। इस जंग के दौरान भुज एयरबेस के कमांडर स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कुमार कर्णिक थे।

स्‍क्‍वाड्रन लीडर कर्णिक ने अपने दो ऑफिसर्स और 50 वायुसैनिक और डिफेंस सिक्योरिटी के 60 जवानों के साथ मिलकर पाकिस्‍तान की तरफ से बमबारी के बीच ही इस एयरबेस को फिर से ऑपरेशनल रखने का मिशन पूरा किया था।

एयरफील्‍ड पूरी तरह से नष्‍ट हो चुकी थी, लेकिन स्‍क्‍वाड्रन लीडर विजय कर्णिक के नेतृत्‍व में ये फिर से तैयार की गई और जंग के दौरान ऑपरेट होती रही।

यही वो समय था जब इंडि‍यन एयर फोर्स पूरी तरह से पाकिस्‍तानी दुश्‍मनों पर हावी हो गई। एयरफील्‍ड ऑपरेशनल रहने की वजह से सेना के ऑफिसर्स और जवानों को लेकर आ रही फ्लाइट सुरक्षित तरीके से लैंड हो सकी थी। सरकार की तरफ से एयरबेस की मरम्मत करने वाली महिलाओं को 50,000 रुपए कैश पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया था। इस पूरे मिशन में सबसे बड़ा  योगदान विजय कर्णि‍क का रहा।

विजय कर्णिक 6 नवंबर 1939 को महाराष्‍ट्र के नागपुर में पैदा हुए थे। उन्‍होंने अपनी स्‍कूली और कॉलेज की पढ़ाई नागपुर से ही की।

विजय कर्णि‍क के तीन भाई विनोद, लक्ष्‍मण और अजय कर्णिक इंडियन आर्मी और वायु सेना में थे। विजय बचपन से ही अपने भाइयों को सेना की वर्दी में देखते थे, इसलिए सेना के प्रति उनका सम्‍मान और जज्‍बा बचपन से ही था। वे गोल्‍फ, गार्डनिंग और ट्रैवल करने के भी शौकीन थे।

जब भी वायु सेना के शौर्य की बात आती है, तब-तब विंग कमांडर वि‍जय कर्णि‍क का नाम सबसे पहले और बेहद सम्‍मान के साथ लिया जाता है।
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भुजद प्राइड ऑफ इंडि‍या
बता दें कि भारत-पाकिस्‍तान के बीच हुई इस जंग पर जल्‍द ही फि‍ल्‍म भुज भी रि‍लीज होने वाली है। हाल ही में भुज का ट्रेलर हुआ जिसके बाद सोशल मीडिया पर अजय देवगन की इस फिल्म की चर्चा हो रही है। ट्विटर पर #BhujThePrideOfIndia ट्रेंड कर रहा है।

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