Gangaur recipes : गणगौर की पूजा में बनाएं ये खास 4 भोग, नोट करें रेसिपी
गणगौर पर इन खास व्यंजनों से लगाएं माता गौरी को भोग
HIGHLIGHTS
• राजस्थान का पर्व गणगौर पर बनता हैं चूरमा।
• गणगौर या गौर माता लगाया जाता है चूरमे का भोग।
• गणगौर पर परोसे जाने वाले लजीज व्यंजन।
Gangaur Festival 2024: होली के बाद मनाया जाने वाला गणगौर/ गौरी तृतीया एक जीवंत धार्मिक त्योहार है। चैत्र मास की तीज को गणगौर माता को को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान भोगस्वरूप बनाएं जाते है। आइए जानते हैं यहां गणगौर पर्व पर भोजन में क्या-क्या बनता है-
1. पारंपरिक शाही मीठा चूरमा
सामग्री : 500 ग्राम आटा, 400 ग्राम पिसी शकर का बूरा, 100 ग्राम मावा, 100 ग्राम मिश्री, 1/2 चम्मच केसर, 2 चम्मच पिसी छोटी इलायची, 1/4 कप पिस्ता, 1 चम्मच गुलाब जल, घी आवश्यकतानुसार।
विधि : सबसे पहले गेहूं के आटे में घी का अच्छा मोयन देकर कड़ा सान लें। और इसकी मुठियां बना लें। एक कढ़ाई में घी गर्म करके तैयार मुठियां को बादामी तल लें। इन्हें इमाम दस्ते में साथ-साथ कूट लें। फिर मोटी चलनी से छान लें। मोटे टुकड़ों को फिर से कूटकर छान लें।
अब पिस्ता उबलते पानी में 2-3 मिनट रखकर निकाल लें। इन्हें छीलकर लंबे-लंबे महीन काट लें। मिश्री को दरदरा दल लें। केसर को गुलाब जल में घोटकर चीनी में मिला दें। मावे को मोटी चलनी से छानकर, मंदी आंच पर गुलाबी होने तक सेक लें। फिर इसमें गर्म करके ठंडा किया हुआ घी आवश्यकतानुसार मिला दें। अब छने हुए मुठियां के बूरे में मावा, चीनी, पिसी इलायची व पिस्ता की कतरन मिला दें। लीजिए तैयार हो गया पारंपरिक शाही मीठा चूरमा, अब इसका भोग लगाएं।
2. घेवर
सामग्री : 1.5 (डेढ़) कटोरी मैदा, 2 कप पानी, 1.5 बड़ा चम्मच जमा गाढ़ा घी, 2 कटोरी शकर, गुलाब पत्ती, चुटकी भर पीला रंग, 1.5 कप बर्फ का ठंडा पानी, कटे हुए पिस्ता व बादाम, 1 मटका रखने वाली रिंग।
विधि : सबसे पहले जमा हुआ गाढ़ा घी लेकर एक बर्तन में बर्फ के ठंडे पानी के साथ खूब फेंटिए। करीबन 5 मिनट बाद घी में से पानी बाहर निकल जाता है। अब पानी निथारकर इसमें थोड़ा-थोड़ा कर मैदा मिलाकर फेंटिए। जब भजिए से भी पतला घोल तैयार हो जाए तब छोटी कढ़ाई में मटका रखने वाली रिंग रखें।
इसमें घी डालकर गर्म करें। जब घी अच्छी तरह गर्म हो जाए तब रिंग के बीच में धीरे-धीरे धार-सी बनाते हुए मैदे का घोल छोड़ें। रिंग करीब आधा डूबा होना चाहिए। हल्का बादामी होने लगे, तब सलाई की सहायता से घेवर उठा लीजिए। घेवर पर 3-4 बार डेढ़ तार की गर्म चाशनी डालें और तैयार घेवर को मेवे से सजाकर पेश करें।
3. पूड़ी/पूरी
सामग्री : 1 कटोरा गेहूं का आटा, 1 बड़ा चम्मच बेसन, आधा चम्मच अजवाइन, पाव चम्मच हल्दी, नमक, तेल (तलने के लिए)।
विधि : सबसे पहले गेहूं का आटा और बेसन को छानकर उसमें तेल को छोड़ कर बाकी सभी सामग्री डालकर कड़ा आटा गूंथ लें। अब 15-20 मिनट कपड़े से ढंक कर रख दें। एक कढ़ाई में तेल गरम करके धीमी आंच पर कुरकुरी पूरियां तल कर रख लें और ठंडी होने के पश्चात पूरी से माता को भोग लगाएं।
4. मालपुए
सामग्री : 1 कप दूध, 1 कप मैदा, 1 कप चीनी, 1 चम्मच नीबू रस, 1 चम्मच सौंफ, 5-6 केसर के लच्छे, 1/4 कटोरी मेवे की कतरन, घी (तलने और मोयन के लिए)।
विधि : सबसे पहले मैदा छानकर उसमें 2 चम्मच घी का मोयन मिलाकर दूध तथा सौंफ डालकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें। अब एक बर्तन में चीनी, नीबू रस और पानी मिलाकर चाशनी तैयार कर लें, उसमें केसर के लच्छे डालें और उबालें।
अब एक कढ़ाई में घी गरम करके एक कड़छी से घोल डालें और कुरकुरा होने तक तल लें। फिर चाशनी में डुबोकर एक अलग बर्तन में रखते जाएं। ऊपर से मेवे की कतरन बुरकाकर सभी मालपुए तैयार करके भोग लगाएं।