Chandragupta Maurya got Kabul and balochistan in dowry: यूं तो भारत के इतिहास में कई महान योद्धाओं और प्रतापी राजाओं का जिक्र है, लेकिन आज हम जिस सम्राट के बारे में आपको बता रहे हैं उसकी कहानी किसी रोमांचक गाथा से कम नहीं। सोचिए, एक ऐसा राजा जिसे दहेज में पूरा काबुल और बलूचिस्तान मिल गया हो! जी हाँ, यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि आज से लगभग 2300 साल पहले की सच्ची घटना है, जब भारत ने एक ऐसे शासक का उदय देखा जिसने अखंड भारत के सपने को साकार किया। इस सम्राट का नाम था चंद्रगुप्त मौर्य। आइये जानते हैं इतिहास में दर्ज इस घटना को विस्तार से :
सिकंदर का अधूरा सपना और चंद्रगुप्त का उदय
कहानी शुरू होती है 326 ईसा पूर्व के आसपास, जब विश्व विजेता सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया। उसकी विशाल सेना ने कई राज्यों को रौंदा, लेकिन जब वह व्यास नदी तक पहुंचा, तो उसकी सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया। सिकंदर को वापस लौटना पड़ा, लेकिन उसकी महत्वकांक्षाओं को अभी भी पंख लगने बाकी थे। उसके एक काबिल सेनापति, सेल्यूकस निकेटर, जो बाद में सीरिया का ग्रीक सम्राट बना, उसने भारत पर फिर से अपनी आँखें गड़ाईं।
इसी बीच, भारत में एक असाधारण व्यक्तित्व, चंद्रगुप्त मौर्य का उदय हो रहा था। अपने दूरदर्शी गुरु चाणक्य के मार्गदर्शन में, चंद्रगुप्त ने न केवल एक शक्तिशाली साम्राज्य की नींव रखी, बल्कि एक विशाल और सुसंगठित सेना का भी निर्माण किया। उनकी रणनीति और सैन्य कौशल ऐसे थे कि उन्होंने जल्दी ही अपनी धाक जमा ली।
सेल्यूकस की हार और चंद्रगुप्त की विजय
जब सेल्यूकस ने दोबारा भारत पर हमला किया, तो उसका सामना किसी मामूली राजा से नहीं, बल्कि एक ऐसे योद्धा से हुआ, जिसने रणनीति और साहस का अद्भुत मेल दिखाया। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी बड़ी सेना के साथ सेल्यूकस को करारी शिकस्त दी। यह हार सेल्यूकस के लिए इतनी अपमानजनक थी कि उसे संधि करने पर मजबूर होना पड़ा।
इस संधि के तहत, सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से कर दिया। और सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इस वैवाहिक संबंध के साथ, सेल्यूकस ने चंद्रगुप्त को पूरा पाकिस्तान और अफगानिस्तान, जिसमें तब के काबुल और बलूचिस्तान के क्षेत्र शामिल थे, दहेज में दे दिए! यह भारतीय इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना थी, जिसने चंद्रगुप्त के साम्राज्य को और भी विशाल बना दिया।
अखंड भारत का निर्माता: सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य
चंद्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य केवल काबुल और बलूचिस्तान तक ही सीमित नहीं था। उनके शासनकाल में, भारत की सीमाएं उत्तर-पश्चिम में हिंदुकुश पर्वतमाला से लेकर अफगानिस्तान और ईरान तक, उत्तर में तिब्बत तक, पूर्व में म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया तक, और दक्षिण में श्रीलंका तक फैली हुई थीं। इस तरह, चंद्रगुप्त मौर्य ने सही मायने में अखंड भारत के सपने को साकार किया।
ग्रीक और लैटिन लेखों में भी चंद्रगुप्त मौर्य का उल्लेख मिलता है, जहाँ उन्हें सैण्ड्रोकोट्स और एण्डोकॉटस जैसे नामों से संबोधित किया गया है। यह दर्शाता है कि उनकी ख्याति न केवल भारत में बल्कि पश्चिमी दुनिया में भी फैली हुई थी।
चंद्रगुप्त मौर्य ने केवल युद्ध जीते और साम्राज्य का विस्तार किया, बल्कि उन्होंने एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था भी स्थापित की, जिसने उनके विशाल साम्राज्य को सुचारु रूप से चलाने में मदद की। उनकी कहानी हमें बताती है कि कैसे एक असाधारण नेतृत्व और दूरदर्शिता के साथ, कोई भी व्यक्ति इतिहास के पन्नों पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा सकता है।
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