lucknow chikankari history
आज के समय में भारत एक फैशन हब है। साथ ही आज के समय में फैशन किसी इंसान के मूड से भी ज्यादा जल्दी बदलता है। दुनिया में कई तरह के फैशन ट्रेंड आते हैं पर भारत का पारंपरिक फैशन हमेशा सदाबहार रहता है। कपड़ों के ज़रिए इंसान की पहचान और सोच को समझा जाता है। साथ ही खुद को बेहतर प्रेजेंट करने के लिए हम अक्सर कपड़ों का ही सहारा लेते हैं। सुंदर कपड़े पहनकर हम भी सुंदर दिक्ते हैं। भारत में कई तरह की कलाओं के ज़रिए कपड़ो में डिटेलिंग की जाती है। इन सुंदर कलाओं में से एक चिकनकारी कढ़ाई है। महिलाओं में चिकनकारी के सूट व कपड़े काफी प्रचलित हैं। साथ ही जनरेशन ज़ी भी इस आर्ट को बहुत ज्यादा पसंद करती है। पर क्या आपने कभी इस सुंदर कला का इतिहास जानने की कोशिश की? तो चलिए जानते हैं कि क्या है चिकनकारी का इतिहास...
कहा से आया चिकनकारी का नाम?
चिकनकारी का मूल उद्भव उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को माना जाता है। दरअसल चिकनकारी शब्द एक टर्किश शब्द 'चिक' से लिया गया है जिसका अर्थ है छोटे-छोटे छेद करना। जाली, मुर्रे, बखिया, टेप्ची, टप्पा आदि चिकनकारी के 37 प्रकारों में से कुछ प्रमुख नाम हैं।
क्या है चिकनकारी का इतिहास?
चिकनकारी का इतिहास मुगल काल से शुरू होता है। यह कला मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां के दौर में भारत आई थी। भारत आने के बाद ये कला काफी प्रचलित हुई। पर सबसे पहले चिकनकारी का काम ईरान में शुरू हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि ईरान में झीलें बहुत थे और उन्हें स्वान को देखकर चिकनकारी का कांसेप्ट दिमाग में आया। इसके बाद ईरान से यह कला भारत पहुंची। भारत में दिल्ली से मुर्शिदाबाद और मुर्शिदाबाद से बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इसने कदम रखा। ढाका के बाद यह कला लखनऊ में आई।
इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि बेगम नूरजहां की एक कनीज जिसे चिकनकारी का काम आता था उसने भारत की कुछ महिलाओं को इस कला से रुबा-रू करवाया। आज भी लखनऊ में 50 गांव से ज्यादा केवल महिलाएं ही चिकनकारी का काम करती हैं। बदलते समय के साथ चिकनकारी को सोने और चांदी के तारों से भी किया जाने लगा।
दूसरी और जसलीन धमीजा की किताब Asian Embroidery' में ये बताया गया है कि ईसा से 300 वर्ष पूर्व भी 'चिकनकारी' कढ़ाई कला का भारत में अस्तित्व था। इस कला का नमूना अजंता की पेंटिंग्स में भी मिलता है।महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित अजंता की गुफाओं के निर्माण का इतिहास 480 ईसापूर्व तक पुराना है।
आज भारत में कई बड़े डिज़ाइनर चिकनकारी को काफी बेहतरीन तरीके से कपड़ों में तराशते हैं। आज के समय में बॉलीवुड एक्ट्रेस में चिकनकारी कुरते काफी प्रचलित हैं। चिकनकारी अलग-अलग तरह से की जाती है जिसके कारण उनकी कीमत भी विभिन्न होती है।