Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

क्या होता अगर POK भारत के पास होता? समझिए भारत, चीन और पाकिस्तान पर क्या पड़ता असर

Advertiesment
हमें फॉलो करें india pakistan war

WD Feature Desk

, शनिवार, 5 जुलाई 2025 (13:57 IST)
what happens if pok would be a part of india: जम्मू-कश्मीर का वह हिस्सा जिसे हम पाक अधिकृत कश्मीर (POK) कहते हैं, भारत का अभिन्न अंग है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है। सदियों से यह क्षेत्र सामरिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि अगर POK भारत के पास होता, तो आज भारत और पूरे दक्षिण एशिया का परिदृश्य कैसा होता? यह केवल एक भू-राजनीतिक परिवर्तन नहीं होता, बल्कि इसके दूरगामी आर्थिक और सामरिक परिणाम होते। आइए, उन 3 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं, जो POK के भारत के पास होने से बदल जाते।
 
1. चीन-पाकिस्तान की दूरी से रह जाता CPEC का सपना अधूरा
आज चीन और पाकिस्तान की दोस्ती जगजाहिर है, जिसकी नींव 'चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर' (CPEC) है। यह चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो चीन को ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से मध्य पूर्व और यूरोपीय देशों के बाजारों तक सीधा समुद्री मार्ग प्रदान करता है। लेकिन, अगर POK भारत के पास होता, तो चीन और पाकिस्तान की सीमाएं आपस में नहीं मिलतीं।
 
इसका सबसे बड़ा प्रभाव CPEC पर पड़ता। चीन का मिडल ईस्ट और यूरोपीय देशों के बाजारों तक सीधे पहुंचने का सपना कभी पूरा नहीं होता। चीन को इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए पाकिस्तान पर इतना निर्भर नहीं रहना पड़ता और न ही वह पाकिस्तान में इतनी दिलचस्पी दिखाता। परिणामस्वरुप, चीन पाकिस्तान को सामरिक हथियार देने में हिचकिचाता और न ही पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार तकनीक (न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी) इतनी आसानी से पहुंच पाती। POK पर भारत का नियंत्रण पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से कमजोर कर देता और क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी पर लगाम लग जाती।
 
2. मध्य एशियाई देशों और रूस तक भारत की सीधी होती पहुंच
POK वह भूभाग है जो भारत को अफगानिस्तान के रास्ते मध्य एशियाई देशों से जोड़ता है। वर्तमान में यह मार्ग पाकिस्तान के कब्जे के कारण अवरुद्ध है। यदि POK भारत के पास होता, तो भारत की सीमाएं अफगानिस्तान के जरिए सीधे सेन्ट्रल एशियन देशों जैसे ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, और कजाकिस्तान तक जातीं। इसके लाभ अनेक होते।
 
सबसे पहले, भारत को इन देशों से, विशेषकर रूस से, सस्ते दाम पर तेल और गैस मिलती। ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से यह भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित होता। दूसरा, कजाकिस्तान से यूरेनियम भी भारत को कम दाम पर मिलता, जो परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण है। यह भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को मजबूत करता और विदेशी निर्भरता को कम करता। यह सीधी पहुंच न केवल व्यापारिक संबंध मजबूत करती बल्कि सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध भी गहरे होते।
 
3. भारत कर पाता रूस, मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप से सीधा व्यापार
POK के रास्ते मध्य एशिया तक सीधी पहुंच भारत के व्यापारिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल देती। भारत रूस, मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप से सीधे व्यापार कर पाता। वर्तमान में, इन क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए भारत को ईरान या समुद्री मार्गों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो लंबा और महंगा होता है। सीधा भूमि मार्ग, माल ढुलाई की लागत और समय को काफी कम कर देता। यह भारत के निर्यात को बढ़ावा देता और इन क्षेत्रों से आयात को सुगम बनाता। भारतीय उत्पाद इन बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी होते, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलती। यह भारत को एक प्रमुख व्यापारिक गलियारा भी बनाता, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को भी लाभ होता।
 
संक्षेप में, POK का भारत के पास होना न केवल भारत की भू-राजनीतिक स्थिति को मजबूत करता, बल्कि चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाता, भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करता और भारत को मध्य एशिया व पूर्वी यूरोप के साथ सीधा व्यापारिक संबंध स्थापित करने का अवसर प्रदान करता।

 
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या है कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील में शिव जी के डमरू और ओम की आवाज का रहस्य?