Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

( षष्ठी तिथि)
  • तिथि- आषाढ़ शुक्ल षष्ठी
  • शुभ समय-10:46 से 1:55, 3:30 5:05 तक
  • दिवस विशेष- डॉक्टर्स डे, सी. ए. दिवस
  • राहुकाल- दोप. 3:00 से 4:30 बजे तक
webdunia

कुंभ के साधु क्या संन्यासी हैं?

Advertiesment
हमें फॉलो करें कुंभ
इलाहाबाद कुंभ में इस वक्त लाखों साधु-संत डेरा डाले हुए हैं। उनमें से अधिकतर संत हिंदू संत धारा 13 आश्रम-अखाड़ से जुड़े हैं और बाकी स्वघोषित संत या साधु बाबा हैं। उनमें से भी कुछ के कैंप हैं तो कुछ सड़क पर ही चादर बिछाकर बैठे हुए हैं। सवाल उठता है कि क्या यह सभी संत हैं?

संत की परिभाषा पर हम चर्चा नहीं करते, लेकिन इतना कहते हैं ‍कि दसनामी परंपरा में संत बनते वक्त प्रतीज्ञा ली जाती है कि वह (साधु) किसी के सामने न नतमस्तक होगा, न ही किसी की प्रशंसा-समर्थन करेगा। हमारे संत तो भाजपा, कांग्रेस या नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा, विरोध या समर्थन करते हैं। तब उस प्रतीज्ञा का क्या?

संत तो क्रोध, मोह, अहंकार और द्वैष से दूर रहता है फिर कुंभ में शिविर के लिए भूमि नहीं मिलने पर क्रोध क्यों? पहले स्नान करने का अहंकार क्यों? अखबार में छपने का मोह क्यों? यह तो बात हुई अखाड़े से जुड़े संतों की।

जो संत अखाड़े से नहीं जुड़े हैं जैसे आसाराम बापू या सड़क पर चादर बिछाकर बैठा बाबा। दोनों ही स्वघोषित संत है और दोनों ही के संत होने की कोई गारंटी नहीं, क्योंकि दोनों ही धन के लिए कार्य कर रहे हैं धर्म के लिए नहीं।

लेकिन इस सबके बावजूद कुछ ऐसे भी संत हैं जिन पर हमें गर्व हो सकता हैं जो दुनिया की चमक-धमक देखने के लिए पूरे 12 वर्ष बाद कुंभ में ही नजर आते हैं और बाकी समय वह तप और तपस्या में ही रमे रहते हैं ऐसे सिद्ध पुरुषों के दर्शन सिर्कुंभ में ही हो सकते हैं। यह संत किसी हिंदू संत धारा से जुड़े भी हो सकते हैं और नहीं भी। इन्हें इतने बड़े महाकुंभ में ढूंढना मुश्किल होगा।

यदि आप मिलना चाहते हैं असली साधु से तो आगे क्लिक करें...हिमालय के चमत्कारिक महात्मा की रहस्यमय दास्तां

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi