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कुंभ में छाया बेटी बचाओ और पर्यावरण का मुद्दा

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गंगा की निर्मलता और अविरलता को लेकर कुंभ में हमेशा चिंता व्यक्त की जाती रही है लेकिन संभवत: पहली बार उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर चल रहे महाकुंभ में पर्यावरण और बेटी बचाओ, महिला सशक्तिकरण तथा प्रदूषणमुक्त भारत के लिए संतों की ओर से अभियान चलाया जा रहा है।

महाकुंभ में आए अखाडे़ तथा तथा संतों के शिविर से पर्यावरण और बेटी बचाओ का संदेश निकला है। इतिहास गवाह है कि सनातन धर्म पर जब भी खतरा सामने दिखा तो संतो ने शास्त्र एक किनारे रख शस्त्र उठाए। नागा साधु बनने की कथा भी इसमें शामिल है। कडी़ तपस्या से बनने वाले नागा साधुओं को शास्त्र के साथ शस्त्र की भी शिक्षा दी जाती है।


राजस्थान के शनिधाम ट्रस्ट के महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने तथा बेटी बचाओ के नारे को अपने आश्रम से बुलंद किया है। उनके आश्रम में बेटियों के साथ दातीजी महाराज की बडी़-बडी़ तस्वीर भी देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए बेटियां नहीं होगी तो यह समाज कैसा होगा? क्या बिना कन्या के किसी परिवार की कल्पना की जा सकती है।

इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने भी दाती महाराज के इस कदम को स्वागत योग्य बताते हुए उनके इस काम को सराहा है।

जगदगुरू स्वामी महेशाश्रम के आश्रम में हर हर महादेव तथा जय श्रीराम के साथ बेटियों को बचाने के नारे भी गूंजते है। प्रतिदिन उनका प्रवचन होता है जिसमें धर्म की बातों के अलावा बेटियों की रक्षा करने की भी बात होती है। देश में लड़कियों की लगातार घट रही संख्या पर वह चिंतित नजर आते हैं।

उन्होंने कहा कि कानून बनाकर कन्या भ्रूण हत्या को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए लोगों को यह बताना होगा कि देश और समाज के लिए बेटियां कितनी जरूरी है। आने वाले पुरुष श्रद्धालुओं से वह सवाल भी उठाते हैं कि यदि बेटियां नहीं होगी तो अपने लड़कों की शादी किसी जानवर से तो नहीं करोगे ना...।

सतुआ बाबा पीठ के महामंडलेश्वर बाबा संतोष दास ने पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा उठा रखा है। उन्होंने कहा कि वायु स्नान को भी महत्वपूर्ण माना गया है। यदि वायु प्रदूषित हुई तो देह भी प्रदूषित होगी तथा कुछ भी सही नहीं होगा। वह अपने आश्रम में आने वाले लोगों को कम से कम एक पौधा लगाने की सीख भी देते है। बाबा संतोष दास ने कहा कि पेडो़ से ऑक्सीजन मिलता है, जो किसी के भी जीने के लिए सबसे जरूरी है।

बाबा ने कहा कि जल और वायु तेजी से प्रदूषित हो रही है। शहर ही नहीं गांवो में भी कॉंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे है। लोग पेड़ों को काट कर मकान बना रहे है। मकान किसी को रहने के लिए छत तो दे सकते है लेकिन जिंदा रहने के लिए शुद्ध वायु जरूरी है।

पंच अग्नि अखाडा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद तथा उनसे जुडे़ लोग अविरल और निर्मल गंगा का संदेश दे रहे है। गंगा जीवनदायिनी है। यह अपने किनारे बसे शहरों के पांच करोड़ लोगों का पेट पालती हैं। गंगा को लोग अपने स्वार्थ के लिए लगातार प्रदूषित करते जा रहे है अब तो इसका जल आचमन के लायक भी नहीं रह गया है। पंच अग्नि अखाडा से जुडे़ संतों ने कहा अब बहुत हुआ, गंगा को तो बचाना होगा अन्यथा अनर्थ होगा। देश के राजनीतिज्ञों को गंगा की चिंता नहीं है, वे शहरीकरण को बढा़वा देना ही विकास का पैमाना मान रहे है।

ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने महिला सशक्तीकरण का मुद्दा उठाया है। विश्वविद्यालय से जुडी़ दो हजार से ज्यादा महिलाओं ने संकल्प लिया है कि वह महाकुंभ से जाने के बाद महिला सशक्तिकरण के लिए काम करेगी।

निर्वाणी अखाडा़ से जनसंख्या पर नियंत्रण तथा गाय और गंगा को बचाने का संदेश दिया जा रहा है। अखाडे़ से जुडे़ स्वामी प्रेमानंद का कहना है कि जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि ने सामाजिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। सरकार के साथ लोगों को भी सोचना होगा कि कम जनसंख्या तेजी से विकास करती है। दुनिया में कम जनसंख्या वाले देश इसका गवाह है। वह कहते है कि जनसंख्या कम होगी तो समाज भी सुशिक्षित होगा।

वह पॉलीथीन तथा प्लास्टिक से भी बचने की सलाह लोगों को दे रहे है। पॉलीथीन और प्लास्टिक प्रदूषण बढा़ रहे है जिसके परिणाम घातक होने वाले है। किसी भी कुंभ में सामाजिक सरोकार से जुडे़ मुद्दे संभवत: पहली बार उठ रहे है और यहां आ रहे लोगों पर इसका असर भी दिखाई दे रहा है। (वार्ता)

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