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कुंभ मेला : पंचाग्नि अखाड़ा का परिचय

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हमें फॉलो करें श्रीपंचाग्नि अखाड़ा चतुर्नाम्ना ब्रह्मचारी का अखाड़ा
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श्रीपंचाग्नि अखाड़ा चतुर्नाम्ना ब्रह्मचारियों का अखाड़ा है। इस अखाड़े की जो आचार्य गादी है, वह नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में मार्कंडेय आश्रम में स्थित है जो श्रीमार्कंडेय ऋषि की तपस्थली है।

इस पीठ की आराध्या भगवती गायत्री हैं। आनंद, स्वरूप, चैतन्य और प्रकाश नामक चार ब्रह्मचारी इन मठों के क्रमश: मठाधीश होते हैं।

आनंद नाम का ब्रह्मचारी ज्योतिर्मठ का, चैतन्य नाम का ब्रह्मचारी श्रृंगेरीमठ, प्रकाश नाम का ब्रह्मचारी गोवर्धन मठ अर्थात पूर्व का तथा स्वरूप नाम का ब्रह्मचारी द्वारिका का।

21 जनवरी, 2001 को कुंभ पर्व के अवसर पर सभी अखाड़ों के पदाधिकारियों की उपस्थिति में अग्निपीठ की आचार्य गादी पर ब्रह्मऋषि श्री रामकृष्णानंदजी अभिषिक्त हुए, तब से सारे देश में पीठ सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार का कार्य कर रही है।

श्रीरामकृष्णानंदजी का जन्म 12-05-1956 को श्रीधाम में स्वर्गीय पं. बालाप्रसादजी तिवारी तथा स्वर्गीय श्रीमती त्रिवेणीबाई तिवारी के गृहस्थांगन में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा श्रीधाम (गोटेगांव मिडिल स्कूल तक) में हुई।

तत्पश्चात दो वर्ष पूज्य शंकराचार्यजी की तपस्थली परमहंसी गंगा में ज्योर्तिश्वर ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय, झोतेश्वर में 1973-74 तथा 1975 से 1984 वाराणसी में आचार्य पास किया। पूज्य महाराजश्री के संपर्क में 1967 में आए तथा ब्रह्मचारी का संकल्प प्रयाग में 1982 में लिया। नैष्ठिक ब्रह्मचारी की दीक्षा 1989 में तीर्थराज प्रयाग में ली। (एजेंसी)

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