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महाकुंभ और ताम्बूल दान

ताम्बूल दान : विशेष दान

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हमें फॉलो करें ताम्बूल दान
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तीर्थ स्थल हरिद्वार में श्रद्धालु दक्षिणा के साथ वस्त्र से ढँक कर सोलह, तीन या एक फल का दान करते हैं। संकल्प में फल का नाम लेकर उसे विधि पूर्वक ब्राह्मणों को देना चाहिए। इस दान के लिए यह विचार करना कतई जरूरी नहीं है कि दान लेने वाला इसका अधिकारी है या नहीं।

दान के लिए नारियल, नारंगी, खजूर, अनार, सुपारी, तरबूज, कोल्हा, ककड़ी, जायफल, केला, आम, जामुन, नींबू, बेल और दूसरे मीठे पल का प्रयोग किया जा सकता है। जिस मौसम में जो फल मिल सकते हैं, उन्हीं का दान करना चाहिए। फलदान करने से पुत्र प्राप्त होता है। माघ के महीने में यह दान खासतौर से फलदायी माना गया है।

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ताम्बूल दान
ताम्बूल दान करने से मनुष्य पापों से छुटकारा पा जाता है, ताम्बूल खाने से पाप होता है। वह पाप ताम्बूल दान करने से नष्ट हो जाता है। पान का पत्ता, इसके आगे का हिस्सा, इसके नाड़ी तंतु, चूना और रात के समय कत्था खाने से पाप होता है और मनुष्य को दरिद्रता भोगनी पड़ती है।

इस पाप और दरिद्रता को दूर करने के लिए ताम्बूल दान करना चाहिए। प्रयाग आने वाले तीर्थयात्री को माघ महीने में यह दान विधि पूर्वक करना चाहिए। इसके लिए मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या, पंचमी, पूर्णिमा और कुम्भ संक्रांति का दिन अच्छा माना गया है। यह दान करने के लिए श्रद्धालु को अपनी सामर्थ्य के अनुसार सोना, चाँदी ताँबा या पीतल का पानदान बनवाना चाहिए।

धनी और सम्पन्न श्रद्धालु दान के लिए सोने का पान, चाँदी की सुपारी, बैदूर्य का कत्था और मोती रखकर दान करते हैं। पान की संख्या एक हजार कहीं गयी है। इसकी जगह सौ सुपारी और कत्था, चूना भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य श्रद्धालु जड़ी सहित पान के पत्ते पानदान में रखते हैं। उसमें जावित्रि, लौंग, इलायची और सरौता रखते हैं। उसे रंगीन कपड़े से ढाँक कर और सपत्नीक ब्राह्मण को दान देते हैं।

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दान देते समय ये कहते हैं- ब्राह्मण श्रेष्ठ, सब चीजों के साथ ताम्बूल मैं आपको दे रहा हूँ, मुझे पाप से मुक्त कीजिए। मैंने पान का अगला हिस्सा, उसकी नाड़ी, चूना और रात के समय कत्था वगैरह खाया है। गलियों, सड़कों, अग्निहोत्र वाले घर, देवमंदिर और शय्या पर मैंने जो पान खाया है, उससे पाप हुआ है। मेरा वह पाप नष्ट हो जाए और वेणीमाधव मुझ पर प्रसन्न हों।

हरिद्वार आकर जो श्रद्धालु स्त्री-पुरुष माघ महीने में इस तरह ताम्बूल दान करते हैं, उनका पाप नष्ट हो जाता है। इस दान से आयु- आरोग्य, सौभाग्य, पुत्र-पौत्र और धन प्राप्त होता है। जो लोग ज्यादा चीजें नहीं दे सकते, वे अपने सामर्थ्य के मुताबिक सुपारी और फल ब्राह्मण को दान कर दें।

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