Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(पंचमी तिथि)
  • तिथि- ज्येष्ठ कृष्ण पंचमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00
  • दिवस विशेष- विश्व दूरसंचार दिवस
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

महाकुंभ : तीर्थराज प्रयाग की परम्परा और परिचय

Advertiesment
हमें फॉलो करें तीर्थराज प्रयाग

अरविन्द शुक्ला

WD
यह शहर इलाहाबाद है। यह प्रयाग है, तीर्थराज है। यह दो पवित्र नदियों, गंगा और यमुना के संगम का नगर है। सैकड़ों मीलों की दूरी अपनी रवानी में तय करती हुई ये नदियां प्रयाग में आकर आलिंगित होती हैं। लुप्त सरस्वती इनके मिलन का स्वागत करती है। इस प्रकार यह त्रिवेणी का नगर है।

यह नगर है वेणीमाधवजी का, नागवासुकि का, अक्षयवट का और शिवकुटी का। यह अत्रिमुनी और सती अनुसुइया का नगर है। नगर में अतर-सुइया मुहल्ला इन्हीं के नाम पर बसा है। यह नगर है विख्यात संत शिक्षक भारद्वाज मुनि का जिनका आश्रम आनन्द भवन के पास है। यह बाघम्बरी बाबा, महान सिद्ध पुरूष का नगर है।

यह राम, सीता और लक्ष्मण के प्रवास-वास का नगर है। यह अतिथि सत्कार का नगर है। भारत और विश्व के हजारों लाखों तीर्थ यात्रियों का नगर है।

यह अलोपशंकरी का नगर है। इनका मंदिर अलोपीबाग में है। यह नगर, दान, पुण्य और तीज त्योहारों-मेलों ठेलों का प्राचीन स्थल है। यह भारत के तीन प्रधानमंत्रियों का नगर है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की पीठिका था। यह इस नगर से निकली राजनैतिक ज्योति शिखा ने पूरे देश को आलोकित किया था।

यहां से निकली राजनैतिक चेतना ने पूरे देश को झकझोर रखा था। यह अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान का नगर है। यह नगर है शहीद लाल पद्मधर के बलिदान का, शहीद रोशन लाल के बलिदान का। यह आजादी के दीवानों, बलिदानियों और अपना सर्वस्व लुटाने वालों का नगर है।

यह नगर है प्रात: स्मरणीय पंडित मदन मोहन मालवीय का, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन का, पंडित मोती लाल नेहरू, तेज बहादुर सप्रू, मुन्शी काली प्रसाद कुलभाष्कर, जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इन्दिरा गांधी का।

यह शिक्षा और शिक्षाविदों का नगर है। यह वैज्ञानिकों का नगर है। वैज्ञानिकों में स्वर्गीय मेघनाथ साहा, प्रो. नील रंजन धर, शिक्षाविदों में गंगानाथ झा, अमरनाथ झा, प्रो. सतीश चन्द्रदेव प्रभृति और विधि वेत्ताओं में तेज बहादुर सप्रू, मोती लाल नेहरू, पं. कन्हैया लाल मिश्र प्रभृति विद्वानों का नगर है।

यह नगर है कला और संस्कूति का। यह मेलों ठेलों का नगर है, तीज-त्योहारों का नगर है। यहां स्नान-दान का बहुश्रुत फल है। कल्पवास और तीर्थ का उतना महत्व है जितना सभी तीर्थों के भ्रमण का क्योंकि यह नगर तीर्थराज का नगर है।

यह यज्ञों और अनुष्ठानों का नगर है। सिद्धों और साधकों का नगर है। यहां दूर स्थिम प्रान्तों, प्रदेशों और देशों से प्रति वर्ष मुख्यतया माघ के महीने में, अर्ध कुम्भ और कुम्भ पर्व के अवसर पर दानपुण्य करने आते हैं लाखों की संख्या में तीर्थयात्री, सेठ-साहूकार, राजपरिवार, बखाड़े, संत और महात्मा।

यह नगर है जहां ज्ञान गंगा और भक्ति जहां ज्ञान गंगा और भक्ति यमुना सरस्वती से अनुप्रमाणित होकर त्रिवेणी बनती है। यह सभी के लिए सुलभ है। यहां महानगरियों का बनावटीपन नहीं है। यह वह नगर है जिसमें आप शहर और देहात दोनों का मिश्रित वातावरण पाएंगे।

यहां की जमीन और इसके वातावरण में अजीब फक्कड़पन और सलोनापन है। यदि आप एक बार कुछ महीने प्रयाग में बिता लें, तो अन्य शहर आपको भा न सकेगा। यहां का निवासी भ्रमण के लिए कहीं भी जा सकता है। किन्तु यदि निश्चित वास करने का सवाल आएगा तो वह वापस मुड़ पड़ेगा प्रयाग के लिए।

तो इस प्रयाग की सरजमीं में जो मस्ती है, आनन्द है, बेझिझक और बेतरतीब जीनें और संवारने का जो खुला मौका है, वह कभी-कभी उबा देने वाला नहीं है। किसी भी महानगरों या बड़े शहर में आदमी संग-साथ के लिए तरस जाता है।

रोशनी और रफ्तार वाले नगरों में अपनापन लगभग चला ही गया है। इस शहर में अभी भी अपनापन शेष है। इसकी आवारा सड़कों पर यदि आप यहां कुछ दिन रह चुके हैं, तो घूमने पर कई परिचित मिलेंगे जो आपसे कुशल-क्षेम पूछे बिना आगे नहीं बढ़ने देगें।

यह शहर बड़े-से-बड़े और छोटे-से-छोटे के लिए है। हर वर्ग के व्यक्ति का एक अपन-अपना दायरा है, वह प्रसन्न है। यह नगर सभी को प्यार से गले लगाता है, बिना किसी भेदभाव के।

यदि आप हिन्दी और उर्दू के विकास पर ध्यान दें, तो यही वह नगर है जो दोनों के पल्लवित-पुष्पित होने में सहायक रहा है। नेहरू और सप्रू परिवारों ने उर्दू को उठाने में काफी दिलचस्पी ली और इसे खुला प्रश्रय दिया। टण्डन और मालवीय परिवारों ने हिन्दी के प्रचार और प्रसार में सराहनीय कार्य किया।

यह हिन्दी उर्दू कवियों, लेखकों, कथाकारों का नगर है। यह प्रथम निबन्धकार पत्रकार बालकृष्ण भट्ट का नगर है। यह अकबर इलाहाबादी, फिराक गोरखपुरी और बिस्मिल इलाहाबादी का नगर है। यह युगद्दष्टा महाप्राण निराला, सुमित्रानन्दन पन्त और महीयसी महादेवी का नगर है।

यह नगर है पुस्तकालयों और वाचनालयों का। भारती भवन, पब्लिक लाइब्रेरी और केन्द्रीय राज्य पुस्तकालय का नगर है। यह बागों, उद्यानों तथा पार्कों का नगर है। यहां खुसरोबाग, कम्पनी बाग, बालउद्यान की गरिमा देखते बनती है।

यहां किला है। नगर के पास ही कौशाम्बी है। इलाहाबाद में संग्रहालय है। उच्च न्यायालय है। यहां वह सब कुछ है जो अन्यत्र नहीं है। इसकी अपनी परम्परा है। इसकी एक अलग ही शान है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi