Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(अष्टमी तिथि)
  • तिथि- श्रावण कृष्ण अष्टमी
  • शुभ समय- 7:30 से 10:45, 12:20 से 2:00 तक
  • त्योहार/व्रत/मुहूर्त- बुधास्त पश्चिम
  • राहुकाल-प्रात: 10:30 से 12:00 बजे तक
webdunia

महाकुंभ में शक्ति एवं शौर्य के दर्शन

- आचार्य गोविंद बल्लभ जोशी

Advertiesment
हमें फॉलो करें महाकुम्भ
ND
महाशिवरात्रि पर पूर्व कुंभ के पहले शाही स्नान पर अखाड़ों की छावनियों से निकली भव्य शोभायात्रा में त्याग, तप एवं आस्था के साथ लाखों नागा महात्माओं ने शक्ति और शौर्य का लोमहर्षक नजारा प्रस्तुत किया। अपने इष्ट देव की पूजा, चरणपादुका पूजन एवं ध्वजा में विभूति को बांधकर, शंख, रणसिंह, दुंदुभी, नगाड़ों, झांझ, मजीरों प्राचीन वाद्ययंत्रों के नाद के साथ वैदिक सनातन धर्म का उद्‍घोष करते हुए शाही स्नान को निकले साधु-महात्माओं के दर्शन से लाखों कुंभ स्नानार्थी भाव विभोर हो उठे।

संन्यासियों के सातों अखाड़ों में सबसे पहले शाही स्नान जूना अखाड़े के साधुओं ने हर की पै़ड़ी स्थित ब्रह्म कुंड में गोते लगाए, प्रातःकाल ब्राह्ममुहूर्त से लेकर पूर्वाह्न 8 बजे तक आम श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी में स्नान किया तत्पश्चात साधुओं के साही स्नान के लिए क्षेत्र को आरक्षित कर दिया गया।

webdunia
ND
पुरी स्थित भैरव मंदिर जूना अखाड़ा छावनी से जैसे हाथी, घो़ड़े एवं पालकियों में महंत, आचार्य मंडलेश्वर महामंडलेश्वर एवं तपस्वी संतों की सवारी अपार नागा बाबाओं के कवच के साथ आगे ब़ढ़ने लगी तो यात्रा मार्ग के दोनों ओर खड़े अपार जन समूह में शक्ति पूर्ण आह्लाद से उमड़ पड़ा, श्रद्धालु पुष्प-वृष्टि करते हाथ जो़ड़कर भारत की सनातन तपोव्रती परंपरा को नतमस्तक होते दिखाई दिए, शोभा यात्रा में भाले, बरछी, तीर, तलवार लहलहरते दिगंबर साधुओं के रोमांचक कर्तब श्रद्धालुओं को मानों यही संदेश दे रहे थे कि अपने कर्तव्य का पालन करते जाओ धर्मरक्षा के लिए हम तैयार हैं

यद्यपि कुंभ स्नान परंपरा में हरिद्वार में पहला शाही स्नान संन्यासी-महात्माओं के 7 अखाड़े जिनमें पहले जूना अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा एवं अटल अखाड़ा करते आ रहे हैं, लेकिन इस कुंभ में एक विशेषता यह देखने को मिली कि अखाड़ा परिषद के एक निर्णय के अनुसार वैरागी, उदासीन और निर्मल अखाड़े के संत भी प्रथम शाही स्नान में सम्मिलित हुए। इससे पूर्व ये अखाड़े बाद के साही स्नानों में सम्मिलित होते थे, संत मिलन का यह संगम अद्भुत था जिसमें इन अखाड़ों के श्री महंत शाही की अग्रिम पक्ति के साथ थे। शुक्रवार के शाही स्नान के क्रम में आखिरी में महानिर्वाणी अखाड़े की साही निकली। ब्रह्मकुंड स्नान के बाद शाही जुलूस के साथ साधु-महात्मा, नागा संन्यासी अपनी-अपनी छावनियों में लौट आए।

महाशिवरात्रि एवं प्रथम शाही कुंभ स्नान के कारण हरिद्वार के कोने-कोने में श्रद्धालुओं की चहल-पहल रही। शिवालयों में प्रातः काल से ही आठोयाम पूजन एवं रुद्राभिषेक प्रारंभ हो गया, पाँच पुरियों की यह पंचपुरी नगरी वैदिक सनातन धर्म के अनुष्ठानों से गुंजित हो गई। विल्व पर्वत की तलहटी में स्थित प्राचीन विश्वकेश्वर महादेव मंदिर जो ब्रह्मकुंड हर की पैड़ी से पश्चिम की ओर है जहां सती देह शांत होने के बाद गौरी रूप में पार्वती जी ने शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया उस स्थान में महाशिवरात्रि को दिन-रात पूजा अर्चना एवं रुद्राभिषेक होता रहा।

गंगाजी की नील धारा के वौए तट में नीलेश्वर एवं गौरीशंकर मंदिर, श्रवणनाथ मठ में गंगा तट पर पंचमुखी पशुपतिनाथ शिवलिंग मंदिर कनखल स्थित दक्षेश्वर शिवालय, दरिद्रभंजन शिव मंदिर, तिलभांडेश्वर शिवलिंग, हरिहर आश्रम में विराट रुद्राक्ष वृक्ष के पास पारेश्वर शिवलिंग, सप्तऋषि आश्रम सप्तसरोवर सहित अनेक स्थानों में विराजित शिवलिंगों में सारी रात पूजन, अभिषेक एवं विशेष अर्चन चलता रहा।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi