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शाही स्नान: प्रशासनिक मुस्तैद जारी

पहले शाही स्नान फिर आम श्रद्धालु

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हमें फॉलो करें महाकुम्भ
- महेश पाण्ड

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कुंभनगरी में अब शाही स्नान को लेकर प्रशासनिक मुस्तैदी की कोशिश जारी है। राज्य के मुख्यमंत्री समेत मुख्य सचिव एवं कुंभ मेला प्रशासन की निगाह पहले शाही स्नान को सकुशल निबटाने में लगी है। पेशवाईयों का क्रम जारी है। पाँच अखाड़ों ने छावनी प्रवेश कर लिया है। हालाँकि साधु-संत तो डेरा जमा रहे हैं, लेकिन श्रद्घालु अभी गंगा जल ही लेकर काँवड़ मेले में लगे हैं। आम श्रद्घालु स्नान के लिए शाही स्नान के बाद ही हरिद्वार का रूख करेंगे।

अब तक कुंभ नगरी में कार्यों का सिलसिला चल ही रहा है निर्माण कार्य जारी है जो कार्य पार्किंग आदि की व्यवस्था के हुए हैं उनमें अभी वीरानी ही छाई है। मात्र हर की पैड़ी के आसपास ही अब तक रौनक है या फिर साधुओं के अखाड़ों में साधु आए हैं।

हरिद्वार शहर के धर्मशाले हाउसफुल का बोर्ड लगाने के लिए तो चर्चा में ही है। क्योंकि शहर में अभी इतने श्रद्घालु नहीं आए हैं। तथापि धर्मशालाओं का हाउसफुल का बोर्ड लगा देना गले नहीं उतर रहा। होटलों ने कुंभ के मद्देनजर अपने कई दिनों के पैकेज के हिसाब से बुकिंग लेनी शुरू की है। जबकि सरकारी अमला अपनी टेन्ट कालोनियों के निर्माण में जुटा है।

कुंभ स्नान में तेरह अखाड़े अपनी-अपनी उपस्थिति हरिद्वार में बनाने को आतुर हैं। सात संन्यासियों के जो अखाड़े है उनमें जूना, आहवान, पंचअग्नि, निरंजनी, महानिर्वाणी, आनंद एवं अटल है तो तीन बैरागियों के अखाड़े दिगंबर, निर्मोही ओर निर्माणी, दो उदासीन परम्परा के पंचायती बड़ा और पंचायती नया अखाड़ा भी इसमें स्नान करता है। एक निर्मल अखाड़ा सबसे अंत में स्नान का भागी बनता है।

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सभी का रूख हरिद्वार की ओर हो पड़ा है। कई ने तो पेशवाई निकालकर छावनी प्रवेश भी पा लिया है। इन अखाड़ों में नागा संन्यासी सभी अखाड़ों की शान होते हैं। जबकि अग्नि अखाड़े में नागा संन्यासी होते ही नहीं। कुंभकाल को लेकर जहाँ सरकार कन्फ्यूजन में है वहीं तमाम धर्मशास्त्र के ज्ञाता भी उलझन में है। 1 जनवरी से सरकार ने पहले कुंभ घोषित किया जिसके बाद से चार पर्व स्नान हो भी चुके हैं। लेकिन शास्त्र के ज्ञाता मात्र कुंभ का प्रमुख स्नान अंतिम शाही स्नान के योग को बता रहे हैं। इनके अनुसार 14 अप्रैल को चन्द्र-गुरू व बृहस्पति का योग है। यहीं मुख्य कुंभ स्नान है।

मेला क्षेत्र में सस्ते राशन के लिए 128 सस्ते गल्ले की दुकानें लगवाने का दावा मेला प्रशासन कर रहा है, लेकिन दूरदराज से आए साधुओं को महँगाई के कारण दो जून का भोजन जुटाना मुश्किल हो रहा है। केन्द्र ने पर्याप्त गेहूँ, चावल, आटा, राशन, तेल व गैस उपलब्ध कराया है। तथापि साधु-संन्यासियों का हाल बुरा है। एपीएल कोटे के तहत उपलब्ध कराए गए सस्ते राशन की वितरण प्रणाली दुरूस्त करने में खाद्य आपूर्ति मंत्री भी स्वंय को असहाय ही पा रहे है। उनका कहना है कि राशन तो उपलब्ध कराया गया है लेकिन इसका वितरण ठीक हो इसका प्रयास हो रहा है। वैसे 12 वर्ष के कुंभ में सभी नहाना चाहते है। यह व्यवस्था बनाने में कठिनाईयाँ इसीलिए आ रही हैं कि एक माह के पर्व स्नान बीतने के बाद अब ग्यारह हफ्ते के स्नान कुंभ अवधि में और बचे हैं। इस ग्यारह हफ्तों में आस्था, विश्वास, सम्पर्क एवं श्रद्घा का एक ऐसा नजारा दिखाई देगा जो कि कहीं और दुर्लभ है।

मानवता और तमाम संस्कृतियों का अद्‍भुत मेले में कई क्विंटल देशी घी और कई क्विंटल हवन सामग्री यज्ञ कुण्ड में अर्पित हो जाएगी। मंत्रों एवं हर-हर गंगे की पावन ध्वनि से गुँजायमान यह तीर्थ देवताओं के आह्‍वान में लगी रहेगी। यही कुंभ अमृत वर्षा के लिए आपके इंतजार में है।

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