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संतों की माँग के आगे झुका प्रशासन

- महेश पाण्डे

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हमें फॉलो करें महाकुम्भ
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महाकुंभ में मेला प्रशासन ने फर्जी शंकराचार्य मसले पर संतों की माँग के आगे झुकने का संकेत दिया है। मेला प्रशासन ने कहा है कि चार पीठों के सर्वमान्य शंकराचार्यों के अलावा अन्य शंकराचार्यों को मेला प्रशासन कुम्भ क्षेत्र में कोई सुविधाएँ नहीं देगा। इससे फर्जी शंकराचार्य विवाद सुलझता नजर आ रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् की माँग है कि फर्जी शंकराचार्यों को लेकर आत्मदाह की धमकी देने वाले संत गिरफ्तार हों। अखाड़ा परिषद् की इस माँग से इस प्रकरण में नया मोड़ आ गया है।

हालाँकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास का साफ तौर पर कहना था कि चार पीठों के चार शंकराचार्यों के अतिरिक्त कोई भी मंजूर नहीं किया जाएगा। तथापि यह कहकर कि आत्मदाह करने वाले गिरफ्तार हों अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने प्रशासन की ही मदद की कोशिश की है। प्रशासन पूर्व में ही इस विवाद से पल्ला झाड़ चुका है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अनुसार चार शंकराचार्यों के अतिरिक्त सभी अन्य फर्जी कहे जाएँगे।

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उधर हरिद्वार में रामानंदी समुदाय के संत चण्डी देवी मंदिर में पूजादि करते दिखे। धर्म नगरी का माहौल धर्ममय एवं भक्तिमय होने लगा है। होली के बाद अब श्रद्घालुओं की आवक इस नगरी की तरफ तेज हो रही है।

उधर 30 मार्च के चौथे चैत्र पूर्णिमा के पर्व स्नान को शाही स्नान घोषित करने की अखाड़ा परिषद् की माँग को मेला प्रशासन ने मान लिया है। इससे आज अखाड़ा परिषद् ने खुशी का इजहार किया। यह पहला कुम्भ मेला है, जिसमें चार शाही स्नान घोषित हुए हैं। आम तौर पर कुम्भ में तीन ही शाही स्नान होते रहे हैं। लेकिन इस बार 30 मार्च को अमावस्या के दिन चैत्र पूर्णिमा के पर्व स्नान को शाही स्नान घोषित करने की माँग अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् ने की थी।

जिसे प्रशासन ने मानते हुए चार शाही स्नान की स्वीकृति दे दी है। इस स्नान में तीन वैष्णव अखाड़े दो उदासीन अखाड़े एवं निर्मल अखाड़े के द्वारा स्नान किया जाता है। अब इसे शाही स्नान के रूप में मान्यता देने से ये सभी अखाड़े खुश हैं।

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