महानिर्वाणी अखाड़े के नए महामंडलेश्वर जयकिशनजी महराज एवं महन्त अगस्तजी महराज और पीछे खड़े अखाड़े के संत।
धर्मनगरी कुंभ मेला क्षेत्र में तमाम अखाड़े शोभायमान है। शुक्रवार को महानिर्वाणी अखाड़े में सबसे कम उम्र के 24 साल के जयकिशनजी महराज का पट्टा अभिषेक किया गया एवं महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई।
इस कार्यक्रम का भव्य आयोजन महानिर्वाणी अखाड़े के पंडाल में भव्य समष्टि भडारें का आयोजन किया गया जहां कि हजारों की तदात में साधु-संतों एवं श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
नवनियुक्त महामंडलेश्वर जी महराज वृंदावन से आए हुए हैं एवं संसार के कल्याण के लिए ईश्वरीय अस्था एवं श्रद्धालुओं के कल्याण प्राप्ति के लिए कुंभ मेला क्षेत्र में पधारे हुए हैं।
अखाड़े के महंत अगस्त गिरी महाराजजी ने बताया की उनका प्रथम कुंभ आगमन 1989 में जूना अखाड़े की तरफ से हुआ था। तबसे लेकर लगातार मां गंगा की सेवा में अपना सर्वस्य समार्पित करते हुए मानव कल्याण की कामना करते हैं।
महानिर्वाणी के नव पट्टा अभिषेकित जयकिशन महाराज ने गंगा की अविरल धारा को स्वच्छ सर्वसमाज से आगे आने का आह्वान किया है। भंडारे के आयोजन के साथ प्रसाद के आए हुए श्रद्धालुओं को महराज की तरफ से पीताम्बर वस्त्र प्रदान किया गया।