Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(होलिका दहन)
  • तिथि- फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-होलिका दहन, व्रत की पूर्णिमा
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
webdunia

कुम्भ का मेला क्यों आता है 12 वर्ष पश्चात?

Advertiesment
हमें फॉलो करें कुम्भ का मेला क्यों आता है 12 वर्ष पश्चात?
, बुधवार, 26 दिसंबर 2012 (15:59 IST)
पौराणिक कथाओं अनुसार देवता और राक्षसों के सहयोग से समुद्र मंथन के पश्चात् अमृत कलश की प्राप्ति हुई। जिस पर अधिकार जमाने को लेकर देवताओं और असुरों के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे निकलकर पृथ्वी के चार स्थानों पर गिरी।
 
वे चार स्थान है : - प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। जिनमें प्रयाग गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर और हरिद्वार गंगा नदी के किनारे हैं, वहीं उज्जैन शिप्रा नदी और नासिक गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है।
 
अमृत पर अधिकार को लेकर देवता और दानवों के बीच लगातार बारह दिन तक युद्ध हुआ था। जो मनुष्यों के बारह वर्ष के समान हैं। अतएवं कुम्भ भी बारह होते हैं।
 
उनमें से चार कुम्भ पृथ्वी पर होते हैं और आठ कुम्भ देवलोक में होते हैं।
 
युद्ध के दौरान सूर्य, चंद्र और शनि आदि देवताओं ने कलश की रक्षा की थी, अतः उस समय की वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले चंद्र-सूर्यादिक ग्रह जब आते हैं, तब कुम्भ का योग होता है और चारों पवित्र स्थलों पर प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल पर क्रमानुसार कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है।
 
कुम्भ का इतिहास : कुम्भ मेले का आयोजन प्राचीन काल से हो रहा है, लेकिन मेले का प्रथम लिखित प्रमाण महान बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के लेख से मिलता है जिसमें आठवीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के शासन में होने वाले कुम्भ का प्रसंगवश वर्णन किया गया है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi