उदासीन का शाब्दिक अर्थ है उत्+आसीन= उत् = ऊंचा उठा हुआ अर्थात ब्रह्रा में आसीन = स्थित, समाधिस्थ। यहां प्रस्तुत है छोटे उदासीन अखाड़ें के महंतों की जानकारी।
1- श्रीपंचयती उदासीन अखाड़ा :
इसका मठ कृष्णा नगर कीदगंज, इलाहाबाद में स्थित है और इसके संत है दुर्गा दास और अग्रदास।
2- श्रीपंचायती अखाड़ा नया उदासीन :
इसका मठ श्रीपंचायती अखाड़ा, नया उदासीन, कंखाल हरिद्वार में स्थित है और इसके संत हैं- भ्रगतराम। दूसरा मठ श्रीपंचयती अखाड़ा, नया उदासीन, 286 मुत्थीगंज, इलहाबाद में स्थित है और इसके संत हैं- जगतार मुनी।
3- श्रीनिर्मल पंचयती अखाड़ा :
इसका मठ सतीगत रोड, कंखाल, हरिद्वारा, उत्तराखंड में स्थित है और इसके संत है- बलवंत सिंह और मिश्र प्रकाश सिंह (कोठारी)।