कुंभनगरी में गुरुवार को शंकराचार्य बनाम फर्जी शंकराचार्य मुद्दे का केन्द्र बने स्वामी नरेंद्रानंद अपने शिष्यों के साथ पहुँचे। उन्होंने स्वामी स्वरूपानंद को जहां शास्त्रार्थ की चुनौती दी, वहीं उनकी ब़ढ़ती उम्र के कारण उन्हें शंकराचार्य का दायित्व किसी अपने शिष्य को सौंपने की भी नसीहत दे डाली।
स्वामी नरेंद्रानंद का कहना था कि स्वामी स्वरूपानंद को उनसे ल़ड़ने के बजाए आतंकवाद, भारतीय एकता अखंडता के खिलाफ लगे विद्रोहियों एवं देशद्रोहियों से लड़ना चाहिए। नरेंद्रानंद के अनुसार 95 वर्षीय उम्र में स्वरूपानंद को अपनी शंकराचार्य की पदवी छोड़ अपने किसी शिष्य को उत्तराधिकारी घोषित कर लेना चाहिए, यदि उनके पास ऐसा कोई योग्य शिष्य नहीं है तो फिर उनकी शंकराचार्य की मान्यता ही खत्म हो जानी चाहिए।
नरेंद्रानंद सरस्वती पहली बार इस असली नकली विवाद के बाद हरिद्वार पहुँचे। मीडिया से मुखातिब हो नरेंद्रानंद ने अपने सुमेरूपीठ को भी मान्यताप्राप्त पीठ ठहराते हुए इसके तमाम दस्तावेजों में प्रमाण होने का दावा किया। उधर कल निर्मल अखा़ड़े के संत संजीव हरि ने गंगा का पानी हाथ में लेकर स्वरूपानंद के समर्थन में यह घोषणा की थी कि यदि स्वरूपानंद को हरिद्वार कुंभ छोड़ने को विवश किया गया तो वे आत्मदाह कर लेंगे। इस पर निर्मल अखाड़े ने गुरुवार को उनके इस शपथ का विरोध कर उन्हें इस विवाद से दूर रहने की चेतावनी दे डाली।
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निर्मल अखाड़े का कहना था कि संतों को विवाद से दूर रहकर इस तरह की घोषणा करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने संजीव हरि से अपनी प्रतिज्ञा वापस लेने को कहा तथा चेतावनी दी कि यदि वह अपनी जिद पर अड़े रहे तो उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाएगा। अन्य कई अखाड़ों ने भी आत्मदाह जैसी घोषणा करने पर उनकी निंदा की। उधर इस विवाद से कुंभनगरी के अन्य कार्यक्रम, धार्मिक अनुष्ठान एवं अन्य गतिविधियों पर कोई असर तो नहीं है, हाँ प्रशासनिक अधिकारी इस विवाद के तूल पकड़ने से आशंकित जरूर लग रहे हैं।
अखिल भारतीय अखा़ड़ा परिषद भी इस विवाद को लेकर स्पष्ट रूप से विभाजित दिखाई दे रही है। काशी विद्वत परिषद् पूरे प्रकरण पर आज भी मौन साधे रही। जबकि नरेंद्रानंद सरस्वती बार-बार स्वरूपानंद को शास्त्रार्थ की चुनौती देते रहे। संतों को इस मसले पर मीडिया में आने का मौका मिल जाने से उनकी बयानबाजियाँ भी कुंभनगरी में खासी चर्चा का विषय बनी रहीं।
महाकुंभ के दूसरे शाही स्नान में सात संन्यासी अखाड़े छह बैरागी अखाड़े स्नान करते हैं। सात संन्यासी अखाड़ों में जूना सबसे बड़ा है। जबकि अटल, अग्नि, आहवान, आनंद एवं महानिर्वाणी एवं निरंजनी अखाड़े इस शैव परम्परा में आते हैं।