Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(मां ताप्ती जयंती)
  • तिथि- आषाढ़ शुक्ल सप्तमी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त-मां ताप्ती जयंती, वैस्ववत पूजा, चौमासी अठ्‍ठाई प्रारंभ
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia

कुंभ में तिल दान का लाभ

Advertiesment
हमें फॉलो करें कुंभ मेला तिलदान
FILE
माघ के महीने में जब सूर्य मकर राशि में होता है, तब करोड़ों श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग में तिल का दान करते हैं। प्रयाग में तिलदान की बड़ी महिमा कही गई है

मकर संक्रांति के पर्व पर भी तिल के तेल की मालिश की जाती है, तिल मिले हुए जल से नहाया जाता है। तिल का बना हुआ उबटन लगाया जाता है, तिल का हवन किया जाता है, तिल मिला हुआ जल पीया जाता है और तिल का भोजन किया जाता है। इस दिन तिल के लड्‌डू और खिचड़ी का दान किया जाता है।

षट्‌तिला एकादशी माघ कृष्णपक्ष की एकादशी का दूसरा नाम है। इस दिन श्रद्धालु तिल मिले हुए जल से स्नान करते हैं, तिल का उबटन लगाते हैं, तिल मिला हुआ जल पीते हैं, तिल का दान करते हैं और तिल के लड्‌डू खाते हैं। ऐसा करने से उनके कायिक, वाचिक और मानसिक पाप नष्ट हो जाते हैं।

तीर्थराज प्रयाग में तिल के साथ दक्षिणा दी जाती है। बहुत से श्रद्धालु तिल के लड्‌डुओं में सिक्के रखकर उसे तैयार करते हैं। ये लड्‌डू तीर्थ पुरोहितों को दान में दिए जाते हैं। यह एक तरह का गुप्त दान है।

प्रयाग में दान की कोई सीमा नहीं है। शास्त्रों में जो दान कहे गए हैं, वे सब किसी न किसी रूप में यहां किए जाते हैं। जिन दानों की चर्चा शास्त्र ग्रन्थों में नहीं मिलती, वे भी यहां किए जाते हैं।

वाहन में पहले घोड़े, हाथी दिए जाते थे। बाद में कुछ श्रद्धालु सायकल, मोटरसायकल और कार भी देने लगे। धनी और कमाई वाले लोग जिन उपकरणों का अपनी सुविधा के लिए इस्तेमाल करते हैं, वे उनका दान इस तीर्थ में करते हैं। इस दान की मनोभावना यह है कि मृत्यु के बाद परलोक में भी ये सारे साधन उन्हें प्राप्त होते रहें।

इस मनोभावना का विस्तार अब दान में विविधता ला रहा है। तीर्थ पुरोहितों की पसन्द और तीर्थ यात्रियों की श्रद्धा के अनुसार अब ऐसी चीजें भी दान में दी जा रही है, जिनका शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं हो सकता।
- वेबदुनिया संदर्भ

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi