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(सूर्य कर्क संक्रांति)
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कुंभ स्नान: शुभातिशुभ और महापुण्यदायी

गंगा के स्पर्श मात्र से मिलेगा मोक्ष

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हमें फॉलो करें 14 अप्रैल
- महेश पाण्डे
SUNDAY MAGAZINE

महाकुंभ में 14 अप्रैल का दिन अपने शुभातिशुभ मुहूर्त के कारण अतिविशिष्ट होने वाला है। इस दिन गंगा-स्नान महापुण्यदायी होने वाला है। वहीं विभिन्न स्तरों पर मोक्षदायी गंगा सहित तन और मन की निर्मलता के प्रयासों की होड़-सी लगी है।

पवित्र गंगानगरी हरिद्वार 14 अप्रैल की प्रतीक्षा में पलकें बिछाए बैठा है क्योंकि इस शुभ दिन, जो मुहूर्त बन रहा है वह प्राणिमात्र के लिए अतिशुभ होने वाला है। इस दिन प्रातः सूर्य जब मेष राशि में संक्रमण करेंगे तो चंद्रमा भी इस राशि में मौजूद होंगे और गुरु तो कुंभ में बने ही हैं। ऐसे में पुराणों में वर्णित और चर्चित शुभ दिवस का योग बनेगा। यह योग हर प्राणी के लिए न सिर्फ माँगलिक होगा बल्कि मनोकामना पूर्ति और धन धान्य से परिपूर्ण करने वाला होगा। इतना ही नहीं, मान्यता है कि इस मौके पर शीतल और तीव्र प्रवाही गंगा का जल अपने स्पर्श मात्र से प्राणी को मोक्ष प्रदान करने वाला होगा।

जाहिर है, इस क्षण गंगा-स्नान कर हर आस्थावान हिंदू अपनी कुछ ख्वाहिशें तो पूरी करने को बेताब हो ही रहा है। इसके मद्देनजर हरिद्वार में कर्मकांडी गतिविधियाँ भी खूब बढ़ी हैं। जो मनुष्य सांसारिक मोह-माया में बंधे रहकर कामनापूर्ति की इच्छा और प्रयास में रमा है वह भी और जो इनका त्याग कर मोक्षप्राप्ति को ही अपना मूल उद्देश्य बनाने के मार्ग पर बढ़ चला है वह भी अपने कर्म में रमा है। बड़ी संख्या में गृहस्थ आश्रम का त्याग कर लोग साधु-संन्यासी बन रहे हैं। अभी निरंजनी अखाड़े में दर्जनों गृहस्थ नागा बनने की प्रक्रिया से गुजरे हैं। उन्होंने माया-मोह का त्याग करने की ठानी है। परिवार का त्याग किया है।

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इधर स्नान की प्रतीक्षा में हरिद्वार प्रवास करते श्रद्धालु और साधुगण मोक्षदायी गंगा को निर्मल बनाए रखने और इसे प्रदूषण-मुक्त करने तथा तन के साथ-साथ मन की निर्मलता के लिए गहन विचार-मंथन में डूबे हुए हैं। विचाररूपी अमृत छलक रहा है और उसे छक कर पीने की कोशिशें जारी हैं। विभिन्न धर्मों के गुरुओं की उपस्थिति में हिंदू धर्म एवं संस्कृति के मूल वेदों व पुराणों सहित रामायण और महाभारत जैसे धर्मग्रंथों के तमाम प्रसंगों का संकलन विमोचित किया गया है।

यह विश्व हिंदू शब्दकोष ग्यारह खंडों में प्रकाशित हुआ है। इस भगीरथ यत्न को महाकुंभ में विमोचित करने के निर्णय की सराहना हुई है। इस मौके पर पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, ईसाई धर्मगुरु डोमनिक इमेनुएल, योगगुरु बाबा रामदेव सहित सिख धर्मगुरुओं की उपस्थित भी रही।

इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म की इन पुस्तकों के लिए इंडिया हैरिटेज रिसर्च फाउंडेशन वर्षों से काम करवा रहा था। इन पुस्तकों में न सिर्फ हिंदू धर्म से संबंधित पारिभाषिक शब्दावलियाँ मौजूद हैं, मसलन शैव, शाक्य, वैष्णव आदि शब्दों-अवधारणाओं के अर्थ बल्कि हिंदू धर्म से निकले अन्य धर्म जैसे बौद्ध, जैन, नाथ एवं सिख आदि धर्मगुरुओं, धार्मिक ग्रंथों, उनके व्याख्याताओं, उन धर्म संबंधी अवधारणाओं को एक स्थान पर परिभाषित किया गया है।

इनमें धार्मिक अवधारणाओं के मूल अंतर, उसके तर्क सहित सभी प्रकार की पूजा-पद्धतियों तक की जानकारी दी गई है। इन ग्यारह खंडों में 60 लाख से ज्यादा शब्द, हजारों चित्रयुक्त प्रसंग दुनियाभर के हजारों विद्वानों व शोधार्थियों की मेहनत से संकलित किए गए हैं। इस कोष को तैयार करने में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू संस्थानों ने भी मदद की है।

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हर्ष की बात है कि सात हजार साल पुराने हिंदू सनातन धर्म का यह विश्वकोष तैयार हुआ है। इस प्रयास के पीछे सीधा उद्देश्य तो यही है कि धर्मों की विशिष्टता लोगों की बेहतर पहुँच में हों। अंग्रेजी में लिखे गए इस विश्वकोष से विदेशी श्रद्धालु भी लाभान्वित होंगे।

इस अवसर पर उपस्थित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि यह शताब्दी अहिंसा व धार्मिक सहिष्णुता के प्रति आमजनों की जागरूकता को समर्पित होगी और भारत इस सदी में दुनिया का नेतृत्व करेगा। भारतीय मानस में रचे-बसे अहिंसक आचरण और धार्मिक सहिष्णुता की अवधारणा के प्रति हमारे स्पष्ट विचारों को उन्होंने इस पूर्वानुमान का कारण बताया। उनका मानना है कि इन गुणों को आत्मसात करने में भारतीय अग्रणी रहे हैं ।

दलाई लामा ने कहा, 'मैं जब 24 वर्ष की उम्र में बौद्ध दर्शन पढ़ने भारत आया तब इन सिद्धांतों को अधिक आसानी से समझने लगा। साथ ही पाया कि इन सिद्धांतों को जीवन में उतारने का असर बहुत ही चामत्कारिक था। एक तरफ हिंदू धर्म-दर्शन के संवाहक ग्रंथों का मूल मर्म संकलित रूप में एक जगह आया तो वहीं हिंदू धर्म एवं संस्कृति की संवाहक नदी गंगा को स्पर्श कर उसे निर्मल रखने और प्रदूषण-मुक्त करने के लिए जनजागरूकता अभियान की भी शुरुआत की गई। इस अवसर पर कई नामचीन हस्तियों की उपस्थिति रही। इस मौके पर भी समाज के सभी धर्मों के धर्मगुरु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, योगगुरु स्वामी रामदेव, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदर लाल बहुगुणा, फिल्म स्टार विवेक ओबेराय, भजन सम्राट अनूप जलोटा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' एवं फादर डोमनिक इमेनुएल खासतौर पर मौजूद थे। इन्होंने गंगा को निर्मल बनाने और बनाए रखने के लिए लोगों को जागरूक करने की शपथ हाथ में गंगाजल लेकर की। निर्मल मन और स्वस्थ तन के उद्देश्य से योग गुरु स्वामी रामदेव ने भी महाकुंभ में योग शिविर की शुरुआत की है। योग विज्ञान शिविर ने 10 अप्रैल तक साधकों को निर्मल मन व स्वस्थ तन के गुर सिखाएँ।

गौरी शंकर द्वीप में शुरू किए गए इस योग शिविर के उद्घाटन अवसर पर बाबा रामदेव ने कहा कि योग विज्ञान शिविर श्रद्धालुओं को योग गंगा की डुबकी लगाने में मदद करेगा जिससे उनका तन-मन निर्मल होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर पल सजग रहने का ही मतलब योग है। इससे मनुष्य के समस्त रोगों का निदान हो जाता है। उधर दिव्य प्रेम सेवा मिशन में महाकुंभ मंथन के दौरान संविधान विशेषज्ञों ने वर्तमान व्यवस्था में बदलाव की जरूरत पर चिंतन किया और व्यवस्था की खामियों को दूर कर आम लोगों के लिए न्याय सुलभ बनाने की जरूरत पर बल दिया।

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