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(सूर्य कर्क संक्रांति)
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गंगा को अर्पित किए छप्पन भोग

- महेश पाण्डे

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कुंभ नगरी में गत दिवस तमाम क्षेत्रों से आए संतों ने गंगाजी को छप्पन भोग अर्पित किए। हरिद्वार में जहाँ संतों के सम्मेलन जारी हैं वहीं धार्मिक अनुष्ठान कथावाचन एवं भागवद यज्ञ भी जारी हैं। राष्ट्रीय षडदर्शन संत समाज ने अपनी कार्यकारणी के बैठक में धार्मिक स्थलों से खिलवाड़ करने वालों को चेतावनी जारी की तो गंगा-यमुना व नर्मदासहित धार्मिक महत्व की नदियों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की भी माँग कर डाली।

सरकार ने स्वयं स्पर्श गंगा अभियान में कई नामचीन हस्तियाँ बुलाकर इसको जन जन के बीच लोकप्रिय बनाकर इसे गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने का जरिया बनाने की भी योजना बना डाली। तीर्थयात्रियों को सांस्कृतिक रूप से समृद्घ करने एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों से उनके बीच श्रद्घा बढ़ाने के काम ने भी कई नामचीन हस्तियों का कुम्भनगरी की तरफ आमद जारी है। चाहे राजन साजन की स्वरसंध्या हो या फिर भजन सम्राट अनूप जलोटा के भजन सभी तीर्थनगरी के लोगों के लिए श्रद्घा भाव बढ़ाने का माध्यम बने हैं।

साध्वियों के सम्मेलन में साध्वियों को संगठित होकर समाज बदलने का आहवान किया गया। इस मौके पर कई विद्वान संतों ने यह कहकर साध्वियों को बदलाव के लिए प्रेरित किया कि भगवान भी जब दैत्यों से हारने लगे तो शक्तिस्वरूप देवी दुर्गा ने ही असुरों से उनकी रक्षा की।

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उधर वैशाखी के पर्व पर कुंभ का सबसे बड़ा शाही स्नान आयोजित होना है। इस कुंभ स्नान को लेकर पुलिस प्रशासन ने 10 अप्रैल से ही शहर में धार्मिक जलूसों एवं प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। प्रशासन का तर्क है कि भीड़ व श्रद्घालुओं के दबाव के चलते इन प्रदर्शनों से अव्यवस्था फैल सकती है।

इस घोषणा से संत एवं अखाड़ों में नाराजगी देखी गई है। संतों का कहना है कि संत कुंभ का इंतजार कर वर्षों से अपनी तैयारियाँ इस मौके पर अपने प्रदर्शनों के लिए जारी रखते हैं लेकिन प्रशासनिक मशीनरी अपनी व्यवस्था के नाम पर ऐसा कर संतों की इच्छा के खिलाफ काम कर रही है।

कुंभनगरी में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है। अंतिम शाही स्नान के अलावा कुंभ पर्व के अपने चरम पर होने से तमाम धार्मिक अनुष्ठान एवं क्रियाकलापों सहित कुंभ कर्मकाण्डों का दौर तेज हो चला है लेकिन प्रशासन इस भीड़ से निबटने के लिए अभी से चौकस तो है लेकिन उसके लगातार बढ़ रही भीड़ की व्यवस्था से हाथ पाँव फूलने लगे हैं।

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