सदी का पहला महाकुंभ दुर्लभ एवं विशिष्ट संयोगों के लिए जाना जाएगा। यूँ तो इस महाकुंभ में पहली बार चार शाही स्नान हुए तथा संन्यासियों व बैरागियों ने पुराने वैर भाव भुलाते हुए अद्भुत एकता का परिचय दिया जिससे आने वाले कई महाकुंभ प्रेरित होते रहेंगे लेकिन इस महामेले में पैदा हुए दुर्लभ संयोगों ने भी इसे यादगार बना दिया है।
इधर चारों शाही स्नानों के सकुशल संपन्न हो जाने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री का उत्साह इतना बढ़ गया है कि उन्होंने ऐसे आयोजनों के लिए नोबेल पुरस्कार दिए जाने की अटपटी-सी माँग रख दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यापक धार्मिक-सांस्कृतिक मेले के सफल आयोजन के लिए की गई प्रबंधन-योजना नोबेल पुरस्कार समिति जरूर भेजी जानी चाहिए ताकि उसका ध्यान इस ओर जाए। हालाँकि इस माँग ने मेले की सफलता को कहीं न कहीं रेखांकित जरूर किया है।
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उल्लेखनीय है कि कुंभ के चौथे शाही स्नान में पाँच हजार वर्षों बाद ग्रह-नक्षत्रों ने ऐसा दुर्लभ संयोग सृजित किया जिसे सर्वार्थ काम सिद्ध करने वाला और असंख्य पापों से मुक्ति दिला कर मोक्ष का रास्ता साफ करने वाला बताया गया है।
यह दुर्लभ संयोग उन पापों से मुक्ति दिला सकता है जिनका निराकरण किसी भी प्रकार के जप-तप से संभव न हो। कहते हैं कि महाभारत काल के बाद ऐसा योग बस इसी कुंभ के चौथे शाही स्नान के वक्त पड़ा है।