जहां एक तरफ भारतीय लोग पाश्चात्य सभ्यता को बहुत तेजी से अपनाने में लगे हुए हैं वहीं आस्था और विश्वास के महाकुंभ में एक दर्जन से भी ज्यादा देशों से आए सैकड़ों विदेशी जिस तरह से संगम तट पर अपनी पश्चिमी सभ्यता को छोड़कर पूजा-पाठ, संगम में स्नान कर पूरब के लोगों को आस्था का पाठ पढ़ा रहे हैं उससे संगम तट पर मौजूद लाखों लोग अचंभित ही नहीं है बल्की उत्सुकता से उनको यह यह सब करते देख रहे है।
भारतीय जिस तेजी से पश्चिमी सभ्यता को अपना रहा है ठीक उसके विपरीत विदेशी भारतीय संस्कृति और सभ्यता की ओर आकर्षित ही नहीं हो रहा है बल्की उसके अनुसार अपना जीवन भी ढाल रहा है।
बारह वर्ष बाद इलाहाबाद में लगे महाकुंभ मेले में बड़ी संख्या में विदेशियों की आमद लोगों के लिए आकर्षण और जिज्ञासा का केंद्र बन गई है। यहां विदेशियों को धोती, कुर्ता, जनेऊ के साथ ही गेरुवा वस्त्र धारण किए हुए देखा जा सकता है। यह बड़ी ही तन्मयता से पूजा-पाठ कर रहे हैं। दरअसल यह पश्चिमी हिंदू जनता है जिन्होंने भारतीय धर्म और संस्कृति को अपना लिया है।
ऑस्ट्रेलिया से आए पीटर्स हो या फिर अमेरिका से आए डेविड फरेरा कुंभ शुरू होते ही यह लोग संगम तट पर पहुंच गए थे और पूरी तरह से भारतीय वस्त्रों में लिपटे इन विदेशियों को देखने से कहीं से भी ऐसा आभास नहीं हो रहा है कि वे भारतीय धर्म और संस्कृति नहीं जानते हों।
जापान से आई महिला पूरी तरह से भारतीय परिधान में दिखीं। उसको पूजा-पाठ करने और हाथ जोड़कर सूर्य नमस्कार करने के साथ ही संगम स्नान करने व संगम की आरती गाते देख तट पर मौजद लोग आश्चर्य चकित ही नहीं हो रहे हैं बलकी उनकी भारतीय संस्कृति व धर्म के प्रति आस्था को देखकर दंग रहा है। ऐसी आस्था तो शायद उनके अपने लोगों में भी देखने को नहीं मिली होगी जितनी विदेशियों में देखने को मिल रही है।
WD
मेला परिसर में मौजूद कई आश्रमों में ठहरे यह विदेशी पूरी तरह से भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अपना चुके हैं। यदि उनके पहनावे और रूप पर ध्यान दिया जाए तो इनको विदेशी नहीं ठहराया जा सकता। संगम तट पर विदेशियों की आस्था व विश्वास देख हर कोई विस्मय में है।
विदेशियों की सुबह से लेकर शाम तक की दिनचर्या देखकर हर अचंभित है। विभिन्न आश्रमों में मौजूद यह विदेशी पूरा समय प्रवचन सुनने और पूजा-पाठ करने में ही बिता रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया से आए हॉकी खिलाड़ी और इंग्लैंड से आए फरनांडो को किसी से कोई मतलब नहीं है वो सिर्फ और सिर्फ पूरा समय संगम तट पर स्नान, ध्यान और पूजा पाठ करने के साथ ही साधु संतों के साथ बैठकर उनके प्रवचन सुनने में ही बिता रहे हैं।
महाकुंभ में इस बार हजारों विदेशी संत और भक्त नजर आ जाएंगे, जिन्हें देखकर लगता है कि विदेशों में नए ही भारत का उदय हो रहा है। सचमुच किसी संत ने कहा भी है कि भारत को आप सीमाओं में नहीं बांध सकते... - आलोक त्रिपाठी (इलाहाबाद से)