कुंभनगरी में 28 अप्रैल को हो रहे कुंभ पर्व के अंतिम पर्व स्नान को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ गई है। मेला प्रशासन ने इसके लिए मंगलवार से यातायात प्लान लागू कर इस अंतिम पर्व स्नान को सकुशल निबटाने की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया है। पुलिस ने सभी घाटों एवं शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों की सघन तलाशी कर वहाँ डॉग स्क्वाड से भी तलाशी कराई है।
एक बार फिर महाकुंभ के अंतिम शाही स्नान के बाद राहत महसूस कर रही मेला पुलिस आज के पर्व स्नान को लेकर चौकस दिखाई देने लगी है। कुंभनगरी में योग को बढ़ावा देने के लिए कुंभकाल में भी कई योग शिविरों का आयोजन जारी है। पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी कर्मवीर ने मेला परिसर में सामुदायिक केंद्र पर योग शिविर को सम्बोधित किया। उनका कहना था कि योग को व्यायाम की तरह लेकर स्वास्थ्य जीवन जिया जा सकता है। इससे सम्पूर्ण शारीरिक विकार नष्ट होते हैं।
निरंजनी अखाड़े के सचिव त्रयम्बक भारती महाराज के अनुसार संत का जीवन परमार्थ के लिए समर्पित होना चाहिए। उसके जीवन में शुचिता पवित्रता की गंगा प्रवाहमान होनी चाहिए। उन्होंने कुंभ को सकुशल निबटाने में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद समेत कुंभ मेला प्रशासन को भी श्रेय दिया। उधर आर्य समाजियों द्वारा आयोजित वैदिक संस्कृति सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वक्ताओं ने इसे सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बताया। वैदिक चिंतन एवं संस्कृति से समाज में बदलाव लाए जाने की बात भी उन्होंने कही।
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अंतिम पर्व स्नान पर भी धर्मनगरी के होटल, धर्मशालाएँ और सराय समेत आश्रमों में भीड़भाड़ दिखी। आम श्रद्धालुओं को रहने के लिए स्थान के जुगाड़ में भटकते देखा गया। अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता कल्याण समिति ने कुंभ मेले के दौरान होटल स्वामियों द्वारा किराए के नाम पर मचाई लूट को रोकने की भी माँग मेला प्रशासन से की।
इस समिति के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि धर्मार्थ चलने वाली धर्मशालाओं एवं संतों के द्वारा संचालित आश्रमों द्वारा भी श्रद्धालुओं से प्रतिदिन काफी महंगा किराया वसूला गया। समिति के अनुसार श्रद्धालु आश्रमों, धर्मशालाओं में यथाशक्ति दान दक्षिणा देते हैं।