हनुमान जयंती व अमृत वर्षा के योग के बीच संपन्न तीसरे शाही स्नान पर हरिद्वार में अखाड़ों ने महाकुंभ में इतिहास रच डाला। मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा का जो स्नान अब तक मात्र बैरागी अखाड़ों का ही स्नान माना जाता था उसमें अखाड़ों ने एकता का परिचय देकर सभी तेरह अखाड़ों का स्नान बना दिया।
बैरागी अखाड़ों के भव्य शाही जलूस हर की पैड़ी में स्नान करने के लिए पहुँचे तो उनका साथ निभाने के लिए संन्यासी अखाड़ों के प्रतिनिधि भी पूरी तैयारी व एका के साथ गंगा तट पर मौजूद रहे। प्रदेश सरकार ने इस मौके पर 25 लाख श्रद्घालुओं द्वारा गंगा में डुबकी लगाए जाने का दावा किया है।
गंगा जी की लहरों के साथ बैरागियों के 667 खालसों में मौजूद हजारों संतों ने गंगा की लहरों से अठखेलियाँ खेलीं। गंगा स्नान के बाद हनुमान जी की पूजादि कर पुण्य लाभ कमाया। शाही जुलूस का भव्य स्वागत कर श्रद्घालुओं ने भी संतों का दर्शन लाभ लिया।
बैरागियों के छह अखाड़ों के ही प्रमुख स्नान के रूप में माना जाने वाला चैत्र पूर्णिमा स्नान जहाँ पूरे अखाड़ों का शाही स्नान घोषित कराया गया, वहीं सात संन्यासी अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने इन बैरागियों के प्रति सम्मान जताकर अपने पुराने मतभेद भी मिटाकर सनातन धर्म का एका एवं उसके प्रचार-प्रसार के लिए माहौल बनाया।
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दस वर्षों के बाद मंगलवार को पड़ी हनुमान जयंती ने तो इस मौके को खास बनाया ही था, कुंभ काल में पड़े अमृत वर्षा योग ने इस स्नान को दुर्लभ योग में ला दिया। इस स्नान को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद गंगा की निर्मलता बनाए रखने की माँग को लेकर बहिष्कार की धमकी भी देता रहा था, लेकिन यह स्नान शांतिपूर्ण एवं उत्साहजनक माहौल में गुजर जाने से सर्वाधिक राहत सरकार ने महसूस की है।
जहाँ सुबह सवेरे आम श्रद्घालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर दस बजे तक ब्रह्मकुण्ड में भी स्नान पुण्य प्राप्त कर लाखों की संख्या में गंगा की मोक्षदायिनी व पापनाशनी धारा में स्वयं बजरंग बली की स्वर लहरी के बीच स्नान किया वहीं दस बजे बाद ब्रह्मकुण्ड, हर की पैड़ी घाट पर आम श्रद्घालुओ नहीं नहा सके। लेकिन अन्य घाटों पर गंगा जी में श्रद्घालुओं ने दिन भर स्नान ध्यान कर पूजा एवं अन्य अनुष्ठान किए।
लाखों श्रद्घालु इस दुर्लभ मौके पर पुण्य अर्जित करने के लिए पूरे देश ही नहीं संपूर्ण दुनिया भर से यहाँ पहुँचे थे। पाकिस्तान से आए हिन्दुओं का एक शिष्टमण्डल भी यहाँ स्नान के लिए पहुँच गया था। स्नानादि सम्पन्न होने के बाद हनुमान मंदिरों में जाकर आम श्रद्घालुओं ने जहाँ हनुमान जी के दर्शन किए वहीं दिनभर हनुमान मंदिरों में भक्तजनों का ताँता लगा रहा।
हरिद्वार में मौजूद दो पीठों के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जो शारदापीठाधीश्वर एवं ज्योतिपीठ के भी शंकराचार्य हैं ने भी कुंभ में शाही स्नान किया। स्वामी स्वरूपानंद ने इस गंगा स्नान को पापनाशनी, मोक्षदायिनी एवं जीवनदायिनी स्नान बताया। उन्होंने कहा कि इससे तीन पाप, शरीर के तीन पाप, मन के चार पाप वचन के सभी नष्ट हो जाते हैं। इसमें स्नान से मनुष्य जीवन एक उद्देश्य के साथ निर्विघ्न रूप से आगे बढ़ेगा।
हाथी घोड़ों पर सवार महामंडलेश्वरों की शाही सवारी तो थी ही, इसके अलावा गाडि़यों से बने रथों पर सवार संतों की छतरी के नीचे शाही सवारियों का आकर्षण भी देखते ही बनता था।