Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(तिथि अमावस्या)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-देवकार्य अमावस्या, एड्स जागरूकता दि.
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

महाकुंभ में बिछडे़ तीन लाख से अधिक श्रद्धालु...

हमें फॉलो करें महाकुंभ में बिछडे़ तीन लाख से अधिक श्रद्धालु...
FILE

आमतौर पर ‍फिल्मों में बिछड़ कर अंत में मिलने की कहानी सर्वविदित है, लेकिन महाकुंभ में यह हकीकत में हो रहा है। गत 14 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक तीन लाख से अधिक लोग अपनों से बिछड़ कर मिल चुके हैं।

कुंभ के दौरान इतनी भीड़ जुटती है कि कई बार लोग अपने परिजनों से बिछड़ जाते है। ऐसे लोगों के लिए अलग-अलग जगहों पर भूले-भटके शिविर बनाए गए है, जो बिछड़े लोगों को मिलाने के काम में जुटे हुए हैं।

आंकड़ों के मुताबिक कुंभ में तीन लाख से अधिक लोग अब तक अपनों से बिछड़ चुके हैं। इन्हें मिलाने का काम पुलिस बखूबी निभा रही है। लाउडस्पीकरों से घोषणा के साथ ही मोबाइल फोन भी इसमें काफी मदद कर रहे है।

खोया-पाया कैंप में कोई इसलिए रो रहा है क्योंकि उसकी बूढी मां कुंभ की भीड़ में खो गई है। कोई इसलिए रो रहा है कि उसका बच्चा लापता है। किसी के पिता, किसी का पति, तो किसी का भाई गुम हो गया और कुछ तो इसलिए बिलख रहे है क्योंकि वो जिनके साथ आए थे वो ही कहीं गायब हो गए है।

समस्तीपुर बिहार की रंजना देवी कहती है कि उनके छोटे-छोटे बच्चे है, जिनके पिता खो गए है। क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा है। भोपाल की यशोदा कहती है कि मम्मी खो गई है। कोई उड़िया में बोल रहा था तो कोई बंगाली या किसी और भाषा में। भाषा समझ में आए न आए लेकिन उनका गम समझना मुश्किल नहीं था क्योंकि आंसुओ की भाषा हर देश-हर जगह एक ही होती है।

कुंभनगरी में 10 के करीब खोया-पाया केंद्र है जो गैर सरकारी तौर पर चलाए जाते है। इनमें से एक है भूला-बिसरा केंद्र जहां बड़ी संख्या में लोग अपनों की पूछताछ में आते है और अपनों के इंतजार में बैठे रहते है।

राजाराम जी ने कुंभ में बिछड़ों को अपनों से मिलाने का यह सिलसिला 1946 में माघ पूर्णिमा मेले में शुरू किया था। इसके बाद न जाने कितने कुंभ और अर्धकुंभ गुजर गए। राजाराम जी करीब 85 साल के है लेकिन उनका यह काम आज भी बदस्तूर जारी है। वह कहते है कि हाथ में टिन का भोपू लेकर यह काम शुरू किया था। उनका दावा है कि वह अब तक करीब 16 लाख लोगों को मिला चुके है।

14 जनवरी को मकर संक्रांति से शुरू हुए कुंभ में मौनी अमावस्या तक तीन लाख से अधिक लाख लोग खो चुके हैं। इस आंकड़े में सिर्फ मौनी अमावस्या के दिन खोए 97 हजार लोग शामिल है। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi