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माघ पूर्णिमा पर कुंभ मेला

आधी-अधूरी है प्रशासन की तैयारी

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कुंभ मेला माघ पूर्णिमा पर 30 जनवरी को अलसुबह 4 बजे से प्रारंभ हो गया है। इसे देखते हुए संगम तट के किनारे साधु-संतों की टोलियाँ भी बड़ी संख्या में पहुँच चुकी हैं। लेकिन प्रशासन तैयारी अभी भी आधी-अधूरी है। अभी हाल यह है कि श्री कुलेश्वरनाथ मंदिर और मामा-भाँजा मंदिर आने-जाने का अस्थाई मार्ग के निर्माण का काम अधूरा है। हालाँकि अधिकारियों और ठेकेदारों द्वारा कुंभ की सभी तैयारियाँ शुक्रवार तक पूरी कर लेने का दावा किया गया, लेकिन यह संभव नहीं दिख रहा है।

कहा जा रहा है कि इस वर्ष चुनाव के कारण कुंभ महोत्सव की तैयारी देर से शुरू हुई, जिससे अनेक निर्माण कार्य अभी भी पूरे नहीं हो सके हैं। यहाँ साधु-संतों की कुटिया, डोम तथा यज्ञ-हवन स्थल पर घासफूस की झोपड़ी बनाने का काम तेज गति से चल रहा है। जबकि कुंभ शुरू होने से पहले ही संतों के पहुँचने का सिलसिला शुरू हो गया था।

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प्रशासनिक व्यवस्था से क्षुब्ध हैं साधु : साधुओं को रहने और खाने, पूजा-पाठ की साम्रगी नहीं मिलने से संतों में नाराजगी देखी जा रही है। संतों का कहना है कि पिछले दो-तीन दिनों से सिर्फ उन्हें आश्वासन ही दिया जा रहा है, सुविधाओं का कुछ भी अता-पता नहीं है। यहाँ तक सुरक्षा व्यवस्था भी चुस्त-दुरुस्त नहीं है। संतों के डेरों में चोर-उच्चके हाथ साफ कर रहे हैं।

इससे साधु-संत व्यथित नजर आ रहे हैं। लोमश ऋषि आश्रम में ठहरे ऋषिगिरी महाराज नागा साधु ने बताया कि पिछले दिनों उनके 10 हजार रुपए नकद तथा एक मोबाइल फोन व स्टेट बैंक की पासबुक सहित परिचय पत्र आदि उनके थैले से चोर ले उड़े। २८ जनवरी को सुबह जब वे कुएँ पर स्थान करने गए थे, उसी समय यह वारदात हुई। इस तरह की घटनाओं से साधु-संत व्यथित महसूस कर रहे हैं।

पहली बार कुंभ में पधारी साध्वी गणेशराम पुरी जो हिमालय से अपने गुरुदेव दिगंबरी केदारपुरी हिमालय के साथ यहाँ पहुँचीं। उन्होंने कहा कि अन्य कुंभ स्थलों में साधु-संतों के आने के पहले सारी व्यवस्थाएँ कर ली जाती हैं। परंतु यहाँ साधुओं को अपनी दैनिक जरूरतों की पूर्ति स्वयं करनी पड़ रही है। साध्वी का कहना है कि यहाँ साधुओं का सम्मान नहीं हो रहा है।

साधु भस्म लगाकर जरूरी चीजों की आस लगाए बैठे हैं। धार्मिक वातावरण के संबंध में वे कहती हैं कि निश्चित रूप से यह स्थल कुंभ के अनुकूल है तथा देवत्व इससे जु़ड़ा था और रहेगा। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ इस स्थान को कुंभ स्थल के अनुरूप समृद्ध करने की जरूरत है।

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