कुंभ नगरी। पिछले एक माह से संगम किनारे घर गृहस्थी से दूर रहकर जप-तप कर रहे लोगों का कल्पवास आज पूरा हो गया और वो आज फिर से अपने-अपने घरों को लौट जाएंगे। इस दौरान कल्पवासी घर जाते समय तुलसी का बिरवा और जौ के पौधों को प्रसाद स्वरूप अपने साथ ले जाएंगे।
इस एक माह के दौरान जो सामान उनके पास बचा होगा उसको वो यही पर दान करके जाएंगे और अगले साल फिर से आने का संकल्प लेंगे। पिछले एक माह से संगम की रेती पर कल्पवास कर रहे सैकड़ों परिवार आज माघी पूर्णिमा स्नान के बाद फिर से गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर जाएंगे।
इस एक माह के दौरान कठिन तपस्या व जप-तप के साथ जीवनयापन करने वाले कल्पवासी विभिन्न कठिन परिस्थितियों में संगम तट पर रहकर अपना जीवनयापन करने के साथ ही पूरा समय पूजा-पाठ करने में ही बिताते है। इस एक माह के दौरान उनको घर परिवार के साथ ही गृहस्थ जीवन के बारे में कोई चिंता नहीं रहती है। इसमें कई ऐसे है जो कई कुंभ से कल्पवास करते आ रहे हैं।
सर्दी-गर्मी-बरसात के साथ ही हर मौसम में मिलने वाली कठिनाइयों को झेलते हुए यह कल्पवासी पूरा एक माह संगम तट पर रहकर जीवनयापन करने के साथ ही पूजा-पाठ और सादा जीवन जीते है। इस दौरान इनका पूरा समय पूजा-पाठ में ही व्यतीत होता है।
आज माघी पूर्णिमा के स्नान के बाद कुंभ में बसे कल्पवासी अपने-अपने घरों को जाने की तैयारी में जुट गए और कई तो ऐसे है जिनको लेने के लिए उनके घर वाले सुबह से ही मेला क्षेत्र में पहुंच गए थे और साथ ले जाने का इंतजार कर रहे थे।