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संतों के साथ विदेशियों की भीड़

संत अखाड़ों के महिमामंडन से हतप्रभ

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- महेश पाण्ड
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कुंभनगरी में धर्म की रक्षा को आगे आने के लिए अखाड़ों के योगदान को याद कर अब अखाड़ों के संत कुंभनगरी से विदा ले रहे हैं। धर्माचार्यों ने सफल कुम्भ के आयोजन के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास की तारीफ में कसीदे पढ़े।

संतों का मानना है कि इस कुंभ में जिस प्रकार संत समाज को सद्‍भाव सहित एकजुट रखने में महंत ज्ञानदास कामयाब रहे। हरिद्वार के भूमानिकेतन द्वारा आश्रमों एवं मंदिरों के निर्माण से जहाँ संतों का आश्रम दिया है वैसे ही मानवता के आश्रम के लिए रानीखुर झाल क्षेत्र में विशाल अस्पताल भी निर्मित कराकर एक मिसाल पेश की।

संतों ने गंगा की अविरल धारा को बरकरार रखने का भी संकल्प व्यक्त किया। लेकिन इन सब दावों प्रतिदावों के बीच कुंभनगरी को कलकल बहती गंगा से मिल रही लाशों का सिलसिला जारी है। गायब लोगों का भी पता नही चल रहा।

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राज्य के नेता प्रतिपक्ष दावा कर रहे हैं कि कुंभ के शाही स्नान के दिन हुई भगदड़ में प्रत्यक्ष दर्शियों ने उन्हें 150 से अधिक लोगों के मारे जाने की जानकारी दी है। इस पर संत महात्मा चुप है। मानवता व धर्म के ठेकेदारों के आश्रमों से सरेआम सड़क पर एक वृद्घ की लाश को फेंककर अपने धर्म का प्रदर्शन किया गया तो धर्मनगरी वासी सन्न रह गए महामंडलेश्वर की हरकतों से भगदड़ का मामले में भी संत किसकी तरफ है यह तय नहीं है।

इन धर्म के व्याख्याकारों एवं रक्षकों के अधिक संवेदनशील कहीं न कहीं वे विदेशी हैं जो किताबों में इस धर्म को महत्ता पढ़कर यहाँ अब भी जमे हैं। यूरोप, अमेरिका, एशिया के देशों से आए इन विदेशियों की आस्था कुंभ में ऐसी जगी कि इनमें से कई कुंभनगरी को नजदीक से जानने को अभी भी यहाँ जमे हैं। योग से लेकर ध्यान एवं धार्मिक अनुष्ठानों की महत्ता समेत नदी को माँ मानने की संस्कृति से उत्सुक ये विदेशी इटली, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, मलेशिया, ब्रिटेन चेक गणराज्य, दक्षिण अफ्रिका से युवाओं की आमद यहाँ अधिक रही है।

विदेशियों में गुरू सोहम बाबा, पायलट बाबा, महेश्वरानंद पुरी, कपालिक भैरवानंद सरस्वती जैसे संतों के साथ विदेशियों की भीड़ दिखी। इनमें से अब कुछ ही विदेशी यहाँ रह गए हैं तथापि यह अभी भी यहाँ के धर्मदर्शन एवं गंगा के प्रति लोगों की आस्था को कौतुहल से देख रहे हैं। एक विदेशी महिला भी कल कुंभ क्षेत्र में बेहोश मिली इसको मेला क्षेत्र के अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक तरफ धरम-करम का दौर एवं अनुष्ठानों का जोर तमाम भागवत कथाओं का शोर सुनकर हैरान यह विदेशी अब कुंभ के उतार पर यहाँ के तमाम हैरतअंगेज कारनामों से आश्चर्यचकित भी है।

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