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आज के शुभ मुहूर्त

(अक्षय तृतीया)
  • तिथि- वैशाख शुक्ल तृतीया
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त- अक्षय तृतीया/सर्वार्थसिद्धि योग
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
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आध्यात्मिक साधना के शिखर संत

शरद पूर्णिमा : जन्‍मदिवस विशेष

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हमें फॉलो करें आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज
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-डॉ जैनेंद्र जैन
विक्रम संवत्‌ 2003 सन्‌ 1946 के दिन गुरुवार आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की चाँदनी रात में कर्नाटक जिला बेलगाम के ग्राम सदलगा के निकट चिक्कोड़ी ग्राम में धन-धान्य से संपन्न श्रावक श्रेष्ठी श्री मलप्पाजी अष्टगे (पिता) और धर्मनिष्ठ श्राविका श्रीमतीजी अष्टगे (माता) के घर एक बालक का जन्म हुआ। जिसका नाम विद्याधर रखा गया।

वही विद्याधर आज संत शिरोमणि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के नाम से प्रख्यात हैं एवं धर्म और अध्यात्म के प्रभावी प्रवक्ता और श्रमण संस्कृति की उस परमोज्वल धारा के अप्रतिम प्रतीक है। जो सिंधु घाटी की प्राचीनतम सभ्यता के रूप में आज भी अक्षुण्ण होकर समस्त विश्व को अपनी गौरव गाथा सुना रहे हैं।

आचार्यश्री कन्नड़ मातृभाषी हैं और कन्नड़ एवं मराठी भाषाओं में आपने हाई स्कूल तक शिक्षा ग्रहण की, लेकिन आज आप बहुभाषाविद् हैं और कन्नड़ एवं मराठी के अलावा हिन्दी, अँग्रेजी, संस्कृत प्राकृत, अपभ्रंश और बंगला जैसी अनेक भाषाओं के भी ज्ञाता हैं।

विद्याधर बाल्यकाल से ही साधना को साधने और मन एवं इंद्रियों पर नियंत्रण करने का अभ्यास करते थे, लेकिन युवावस्था की दहलीज पर कदम रखते ही उनके मन में वैराग्य का बीज अंकुरित हो गया।

मात्र 20 वर्ष की अल्पायु में गृह त्याग कर आप जयपुर (राजस्थान) पहुँच गए और वहाँ विराजित आचार्यश्री देशभूषणजी महाराज से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लेकर उन्हीं के संघ में रहते हुए धर्म, स्वाध्याय और साधना करते रहे।

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