Shree Sundarkand

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(दशमी तिथि)
  • तिथि- वैशाख शुक्ल दशमी
  • शुभ समय- 6:00 से 9:11, 5:00 से 6:30 तक
  • जयंती/त्योहार/व्रत/मुहूर्त- रवियोग, रवींद्रनाथ टैगोर ज.
  • राहुकाल- दोप. 12:00 से 1:30 बजे तक
webdunia

कौन हैं शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, विवादित बयानों के चलते रहते हैं चर्चा में

Advertiesment
हमें फॉलो करें avimukteshwaranand saraswati

WD Feature Desk

, मंगलवार, 6 मई 2025 (17:23 IST)
swami avimukteshwaranand saraswati biography: भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक परंपरा में शंकराचार्य का पद अत्यंत प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण माना जाता है। चार दिशाओं में स्थापित चार पीठों के शंकराचार्य सनातन धर्म के मार्गदर्शकों के रूप में पूजे जाते हैं। हाल के वर्षों में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एक महत्वपूर्ण और चर्चित व्यक्तित्व के रूप में उभरे हैं। वे अक्सर अपने तीखे बयानों की वजह से भी काफी चर्चा में रहते हैं। आइये आज जानते हैं उनके बारे में विस्तार से : 
 
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के ब्राह्मणपुर गांव में हुआ था। उनका जन्म का नाम उमाशंकर उपाध्याय है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्रतापगढ़ में ही प्राप्त की। बाद में, वे उच्च शिक्षा के लिए वाराणसी चले गए, जहां उन्होंने प्रसिद्ध संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य की उपाधियाँ प्राप्त कीं।
 
छात्र राजनीति से अध्यात्म तक:
शंकराचार्य बनने से पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती छात्र राजनीति में भी सक्रिय थे। अपनी पढ़ाई के दौरान, उन्होंने छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और 1994 में छात्रसंघ का चुनाव भी जीता। 
 
गुरु की छत्रछाया में:
उमाशंकर उपाध्याय के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वे गुजरात में स्वामी करपात्री जी महाराज के शिष्य ब्रह्मचारी राम चैतन्य के संपर्क में आए। ब्रह्मचारी राम चैतन्य ने ही उन्हें संस्कृत का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। इसी दौरान, उमाशंकर उपाध्याय ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के सानिध्य में आए। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती न केवल एक प्रकांड विद्वान और संत थे, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने जेल की यात्राएं भी की थीं और देश की आजादी के लिए अपना योगदान दिया था। ऐसे गुरु के शिष्य बनकर उमाशंकर उपाध्याय ने आध्यात्मिक ज्ञान और राष्ट्र सेवा की भावना को आत्मसात किया।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से आचार्य की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उमाशंकर उपाध्याय को 15 अप्रैल 2003 को दंड सन्यास की दीक्षा दी गई और उन्हें नया नाम मिला - स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती।
 
शंकराचार्य बनने पर भी हुआ विवाद:
सितंबर 2022 में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के बाद, उनके द्वारा स्थापित किए गए दो पीठों - ज्योतिष पीठ (बद्रीनाथ) और शारदा पीठ (द्वारका) के नए शंकराचार्यों की घोषणा की गई। इस घोषणा के अनुसार, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया गया, जबकि स्वामी सदानंद सरस्वती शारदा पीठ के शंकराचार्य बने।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में अभिषेक भी विवादों से घिरा रहा। कुछ धार्मिक और सामाजिक समूहों ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे, जिसके चलते यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गई थी। इन विवादों के बावजूद, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा जारी रखी और वे सनातन धर्म के सिद्धांतों और परंपराओं को आगे बढ़ाने में सक्रिय हैं।
 
चर्चित विवादित बयान:
अपने शंकराचार्य बनने के बाद से, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कई समसामयिक मुद्दों पर अपनी राय रखी है, जिनमें से कुछ विवादास्पद भी रहे हैं। उनके बयानों को लेकर अक्सर मीडिया और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ जाती है। राम मंदिर उद्घाटन से लेकर प्रयाग राज में भगदड़ पर स्पष्टीकरण मांगने तक, उन्होंने कई बार सरकार को आड़े हाथों लिया है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राहु और मंगल का षडाष्टक योग, देश और दुनिया में 20 दिनों तक मचाएगा तबाही