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रामकृष्ण परमहंस जयंती, जानें उनका जीवन, उल्लेखनीय कार्य और प्रेरक विचार

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हमें फॉलो करें रामकृष्ण परमहंस जयंती, जानें उनका जीवन, उल्लेखनीय कार्य और प्रेरक विचार

WD Feature Desk

, मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025 (10:09 IST)
Biography Ramakrishna Jayanti : रामकृष्ण परमहंस एक महान संत, विचारक, और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने जीवन में सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया और मानवता के पुजारी के रूप में जाने जाते हैं। रामकृष्ण परमहंस जयंती, जिसे रामकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हर साल तिथिनुसार भी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। आइए जानते हैं उनका जीवन परिचय, विचार और कार्य के बारे में...ALSO READ: महाशिवरात्रि पर जानिए शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंग के 12 रहस्य
 
रामकृष्ण परमहंस का जीवन परिचय : रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर गांव में एक निर्धन, किंतु धार्मिक परिवार में हुआ था। हुआ था। उनका बचपन का नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था। उनके पिता का नाम खुदीराम और माता का नाम चंद्रमणि देवी था। 
 
जब वे 7 वर्ष के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया। रामकृष्ण परमहंस को बचपन से ही धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों में गहरी रुचि थी। वे मां काली के परम भक्त थे और उन्होंने विभिन्न धार्मिक साधनाओं के माध्यम से ईश्वर का साक्षात्कार किया। 19वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध भारतीय संत रहे स्वामी रामकृष्ण का विवाह शारदा देवी से हुआ था, जो कुछ समय बाद ही उनकी आध्यात्मिक संगिनी बन गई थीं। 
 
रामकृष्ण परमहंस का जीवन और उनके विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने हमें सिखाया कि ईश्वर एक है और सभी धर्म समान हैं। उन्होंने मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया और हमें प्रेम, एकता और सद्भाव के साथ रहने की प्रेरणा दी। 
 
रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख विचार: 
 
1. ईश्वर एक है, और सभी धर्म उसी तक पहुंचने के मार्ग हैं।
 
2. मानवता की सेवा ही ईश्वर की सच्ची पूजा है।
 
3. हमें अपने विचारों, शब्दों और कर्मों में शुद्धता रखनी चाहिए।
 
4. हमें हमेशा सत्य, न्याय और प्रेम के मार्ग पर चलना चाहिए।
 
रामकृष्ण परमहंस ने अपने जीवन में कई उल्लेखनीय कार्य किए, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
 
1. रामकृष्ण परमहंस ने सभी धर्मों को एक समान मानते हुए कहा कि ईश्वर एक ही है, बस उसके रास्ते अलग-अलग हैं। उन्होंने हिंदू, मुस्लिम, ईसाई आदि सभी धर्मों की एकता पर बल दिया।
 
2. रामकृष्ण परमहंस ने अपने शिष्यों को आध्यात्मिक ज्ञान और मार्गदर्शन प्रदान किया। उनके प्रमुख शिष्यों में स्वामी विवेकानंद थे, जिन्होंने उनके विचारों को विश्व भर में फैलाया।
 
3. रामकृष्ण परमहंस ने हमेशा मानवता की सेवा को सर्वोपरि माना। उन्होंने गरीबों, असहायों और रोगियों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
 
4. रामकृष्ण परमहंस ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लोगों को शिक्षा, स्वच्छता, और सामाजिक सद्भाव के महत्व के बारे में जागरूक किया।
 
उनके प्रसिद्ध शिष्यों में से एक स्वामी विवेकानन्द ने अपने गुरु के सम्मान में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी, जिसका मुख्यालय बेलूर मठ है, तथा विश्व भर में रामकृष्ण मिशन के रूप में आध्यात्मिक आंदोलन का प्रचार-प्रसार तथा जन-कल्याण के कार्य हेतु प्रसिद्ध है। उनका निधन 16 अगस्त 1886 को 50 वर्ष की उम्र में कोलकाता में हुआ था।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।ALSO READ: Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर?

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