Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(सप्तमी तिथि)
  • तिथि- पौष कृष्ण सप्तमी
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-श्री रामानुजन ज., राष्ट्रीय गणित दि.
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

श्री रामानुजाचार्य की 1007वीं जयंती, जानिए संत के बारे में 5 खास बातें

ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखने वाले संत श्री रामानुजाचार्य

हमें फॉलो करें Ramanujacharya Jayanti

WD Feature Desk

, शनिवार, 11 मई 2024 (17:46 IST)
Ramanujacharya Jayanti 2024: (1017-1137 ई.) : हिन्दू मान्यताओं के अनुसार उनका जन्म सन् 1017 में श्री पेरामबुदुर (तमिलनाडु) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वर्ष 2024 में उनकी 1007वीं जयंती मनाई जाएगी। तमिल के सौर कैलेण्डर के आधार रामानुज जयन्ती चिथिरई माह के समय तिरुवथिराई नक्षत्र के दिन मनाई जाती है। आओ जानते हैं उनके बारे में पांच खास बातें।
1. उनके पिता का नाम केशव भट्ट था। जब उनकी अवस्था बहुत छोटी थी, तभी उनके पिता का देहावसान हो गया। श्री रामानुज का जन्म नाम लक्ष्मण था तथा उन्हें इलैया पेरुमल भी कहा जाता है जिसका अर्थ है उज्ज्वल। 
 
2: बचपन में उन्होंने कांची में यादव प्रकाश गुरु से वेदों की शिक्षा ली। 16 वर्ष की उम्र में ही श्रीरामानुजम ने सभी वेदों और शास्त्रों का ज्ञान अर्जित कर लिया था।
3. 17 वर्ष की उम्र में उनका विवाह संपन्न हो गया। उन्होंने गृहस्थ आश्रम त्याग कर श्रीरंगम के यदिराज संन्यासी से संन्यास की दीक्षा ली। रामानुजाचार्य आलवन्दार यामुनाचार्य के प्रधान शिष्य थे। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने उनसे 3 काम करने का संकल्प लिया था। पहला- ब्रह्मसूत्र, दूसरा- विष्णु सहस्रनाम और तीसरा- दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना।
 
4. श्रीरामानुजाचार्य बड़े ही विद्वान और उदार थे। वे चरित्रबल और भक्ति में अद्वितीय थे। उन्हें योग सिद्धियां भी प्राप्त थीं। वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानंद हुए थे जिनके शिष्य मीरा, संत रविदास, कबीर और सूरदास थे।
5. मैसूर के श्रीरंगम से चलकर रामानुज शालग्राम नामक स्थान पर रहने लगे। रामानुज ने उस क्षेत्र में 12 वर्ष तक वैष्णव धर्म का प्रचार-प्रसार किया। फिर उन्होंने वैष्णव धर्म के प्रचार के लिए पूरे देश का भ्रमण किया। आज के समय में भी रामानुजम की उपलब्धियां और उपदेश उपयोगी हैं।श्रीरामानुजाचार्य सन् 1137 ई. में ब्रह्मलीन हो गए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें