बलि जैसा प्रतापी और धर्मी राजा न हुआ और न होगा क्योंकि वे दरबार में आने वाले किसी भी याचक को खाली हाथ वापस नहीं जाने देते थे। उनकी दानशीलता की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया। जो भी मनुष्य बलि की कथा सुनता है उसके सारे पाप कट जाते हैं।
राजा बलि का प्रताप तीनों लोक में फैला था। उनकी परीक्षा लेने पहुँचे वामन देव ने राजा से तीन पग जमीन की माँग की थी। उनकी याचना को सुनकर राजा बलि ने कहा तीन लोक के राजा से तीन पग जमीन की माँग करना मूर्खता से कम नहीं है।
जब वामन देव ने एक पग में सारी धरती नाप ली और दूसरे पग में सभी दिशाओं सहित आकाश को भी नाप लिया तो राजा हैरान रह गए। उनके मन में सवाल उठा कि आखिर वामन देव तीसरे पग में क्या नापते हैं। दूसरे पग के दौरान भगवान का पग महालोक, जनलोक और तपलोक से भी आगे निकल गया था।
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इस परीक्षा के साक्षी ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल निकाल कर वामन देव के चरण धो दिए। राजा बलि के मन के भावों को समझते हुए वामन देव ने कहा तीन पग जमीन दान देने का वचन दिया है और सब कुछ तो मैंने नाप लिया है। इसलिए राजा बलि अब तुम अपने वचन का पालन नहीं कर सकते हो, क्योंकि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं बचा।
राजा बलि ने अपने वचन का मान रखने के लिए सिर झुका दिया और तीसरा पग अपने सिर पर रखने का आग्रह किया। वामन देव उनके इस आग्रह को सुनकर खुश हुए और कहा जो तुम्हारी कथा सुनेगा, उसको पापों से मुक्ति मिलेगी।