तुम सच्चे गुरु की तलाश में सारा जीवन बिता देते हो, फिर भी तुम सद्गुरु को नहीं पाते। तुम्हें सच्चा गुरु तो तब मिलेगा, जब तुम स्वयं सच्चे शिष्य बन जाओ।
मुनिश्री ने कहा कि आज के इस युग में श्रवण कुमार जैसी संतान भले ही न मिले, लेकिन यदि तुमने अपनी संतान को सुसंस्कार बचपन से ही डाल दिए तो वह संतान भी श्रवण कुमार से कम नहीं होगी।
आज तुम्हारे जीवन को जीने का तरीका ही बदल गया है। बिस्तर से उठते ही तुम्हें अब परमात्मा की नहीं, बल्कि बेड टी की याद आती है। तुम भगवान के दर्शन को जब नाश्ता करके जाओगे तो फिर तुम्हारी ईश्वर के प्रति आस्था कहाँ से होगी।
संसार का प्रत्येक जीव अपने भाग्य का खाता है। बालक इस दुनिया में आने से पहले ही उसके दूध की व्यवस्था माँ के आँचल में हो जाती है। तुम्हें अपने पुण्य को प्रबल बनाना है तो पुण्य कार्य करना होगा। हर माँ-बाप चाहते हैं कि मेरे घर राम, महावीर जैसी संतान जन्म ले, लेकिन उसके लिए आपको भी दशरथ और सिद्धार्थ जैसा आदर्शमय जीवन बनाना होगा।
उन्होंने कहा कि जागो और अपने जीवन की दिशा को मोड़कर धर्म के पथ पर अग्रसर हो जाओ, फिर देखो कि तुम्हारा जीवन धर्ममय हो जाएगा।