वाणी बहुत बलवान होती है। वाणी का संतुलन रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि वाणी ही आपको समाज में सम्मान दिलाती है और वाणी ही लोगों के बीच अपमान का घूँट पीने को मजबूर करती है। इसलिए हमेशा वाणी पर माँ सरस्वती तथा मन में कृष्ण को विद्यमान रहने दो। इसलिए कलियुग में सिर्फ वाणी पर ध्यान देने से अच्छा, कीर्तन करने से ही मुक्ति हो जाती है।
कम खाना व कम बोलना दोनों ही लाभप्रद हैं। सज्जन व्यक्ति कभी भी संग्रह नहीं करता है। वह उतना ही रखता है, जितने की आवश्यकता है। अगर धन तथा वैभव का सामान जुटाने में लगे रहोगे तो हरि भजन कब करोगे। हम सपनों में बहुत कुछ देखते हैं, लेकिन सपना कभी भी सच नहीं होता है।
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उसी प्रकार यह संसार भी एक सपना है, इसलिए जितना हो सत्य बोलो तथा कृष्ण की भक्ति में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दो। कलियुग में अच्छा काम करने वालों पर प्रभु की असीम कृपा बरसती है। इसलिए बुरे कार्यों से दूर भगवान कृष्ण के बताए मार्ग पर चलने की कोशिश लोगों को करना चाहिए।
मनुष्य को हमेशा सत्य मार्ग पर ही चलना चाहिए। सत्य के मार्ग पर चलकर ही मनुष्य अपने आपको सिद्ध कर सकता है। जीवन जीने के लिए हमेशा सत्य का ही सहारा लेना चाहिए। जीवन में सदा ऐसे लोगों का ही साथ दो, जो हमेशा सत्य मार्ग पर ही चलें। जीवन बिलकुल सत्यता के आधार पर ही जीना चाहिए। कभी किसी से झूठ-फरेब नहीं करना चाहिए।