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निगेहबान हैं आँखें

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ND
उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकत
जिस मुल्क की सरहद की निगेहबान हैं आँखे
हर तरह के जज्बात का, ऐलान हैं आँखे
शबनम कभी शोला कभी, तूफान हैं आँखे

आँखों से बड़ी कोई तराजू नहीं होत
तुलता है बशर जिसमें, वह मीजान है आँखे

आँखें ही मिलाती है जमाने में दिलों क
अनजान हैं हम तुम अगर, अनजान हैं आँखे

लब कुछ भी कहें इससे हकीकत नहीं खुलत
इंसान के सच झूठ की पहचान हैं आँखे

आँखें न झुकें तेरी किसी गैर के आग
दुनिया में बड़ी चीज मेरी जान हैं आँखे

उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकत
जिस मुल्क की सरहद की निगेहबान है आँखें।

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