प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड रिसर्च (PIEMR) इंदौर के साइबर सिक्योरिटी क्लब ने निदेशक डॉ. मनोज कुमार देशपांडे और सीएसई विभाग के प्रमुख डॉ. पीयूष चौधरी के मार्गदर्शन मे राष्ट्रीय स्तर के साइबर लासुरक्षा ट्रेनर प्रो. गौरव रावल के नेतृत्व में 'साइबर के नवीनतम खतरों और सक्रिय उपायों' पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का समन्वय प्रोफेसर जया मिश्रा द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए उत्सुक इंजीन्यरिंग (बीटेक) के 50 से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
प्रो. रावल ने कहा कि इस साइबर क्राइम की दुनिया में लोगों को स्वयं सतर्क रहना पड़ेगा। साइबर क्राइम की इस दुनिया में हम खुद कब साइबर क्राइम के शिकार हो जाए हमे पता भी नही चलता, उन्होंने आगे बताया कि साइबर क्राइम के जो विभिन्न प्रहार है उनके बारे मे जानकारी रखिए ओर उनसे सुरक्षा के उपायों को समझिए और फिर उन्हे अपनाए क्योंकि यही एक तरीका है साइबर क्राइम की दुनिया में सुरक्षित रहने का।
प्रो. रावल ने बताया की ये जो आपका मोबाइल है, यह दरवाजा है जहां से साइबर क्राइम आपके पास दस्तक देता है। आप अपने मोबाइल को खुला छोड़कर (बिना एंटीवाइरस) के इस्तेमाल कर रख रहे हैं। इस दरवाजे (मोबाइल) से कभी भी आपसे एक गलती होगी वो गलती आप कब करोगे यह आपको मालूम भी नहीं पड़ेगा।
आप शायद एक गलत फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करें, एक गलत फोन को रिसीव करें, एक गलत अटैचमेंट को खोलें, एक गलत QR code को स्कैन करें या एक गलत फाइल को डाउनलोड कर ले मतलब आपको एक गलती करनी है जो शायद आपको पता भी नहीं चले कि आपने कब की ओर आप बहुत बड़े स्कैम के शिकार हो सकते हैं।
प्रो. गौरव रावल ने फ़िशिंग फ़्राड, पहचान की चोरी, स्पाइवेयर से लेकर मैलवेयर हमलों तक विभिन्न साइबर खतरों पर प्रकाश डाला। छात्रों को डिजिटल खतरों के लगातार विकसित हो रहे परिदृश्य की व्यापक समझ प्राप्त हुई। उन्होने छात्रो को प्रेक्टिकल के माध्यम से साइबर साइबर खतरों को पहचानने और उनका जवाब देने का अभ्यास कराया, जिससे की वे प्रभावी साइबर रक्षक बनने के लिए अपने को तैयार कर सकें।