पीएम नरेंद्र मोदी देते हैं एंबुलेंस को रास्ता और उनके नेता लगा रहे सड़कों पर जाम
पीएम मोदी पेश कर रहे मिसाल और उनके नेता खड़ी कर रहे परेशानी
पीएम नरेंद्र मोदी जहां कहीं भी जाते हैं और अगर उनके काफिले से या उनके रोड शो से कहीं किसी अस्पताल की एंबुलेंस फंसती है वे पहले एंबुलेंस को निकलवाते हैं। इसके पीछे उनका मकसद यह होता है कि मरीज समय पर अस्पताल पहुंच सके। लेकिन वहीं दूसरी तरफ मोदी जी के नेता अपने पीएम से यह छोटी सी बात नहीं सीख पा रहे हैं। आए दिन नेताओं के काफिलों, सभाओं और रोड शो की वजह से जाम लग रहे हैं यहां तक कि उनकी वजह से एंबुलेंस भी जाम में फंस रही है।
सोमवार को इंदौर में बीजेपी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के काफिले की वजह से डायवर्ट किए गए ट्रैफिक में एक मरीज की एंबुलेंस फंस गई। देर तक मरीज जाम में फंसा रहा। बाद में ट्रैफिक खुलने पर मरीज की एंबुलेंस निकल सकी। कुल मिलाकर आलम यह है कि पीएम मोदी हर बार एंबुलेस को निकलवाकर एक मिसाल पेश करते हैं तो वहीं उनके नेता अपनी सभाओं और काफिलों से सड़क पर जाम लगा रहे हैं।
बता दें कि हाल ही में इंदौर देवास रोड पर डकाच्या से लेकर अर्जुन बडौद तक 40 घंटों से ज्यादा समय तक जाम लगा रहा। हजारों वाहन और हजारों बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग इसमें फंसे रहे। सबसे दुखद पहलू यह रहा कि जाम में फंसने की वजह से 3 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। एक हार्ट अटैक के मरीज की इसलिए मौत हो गई कि वो समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाया। दूसरे शख्स का जाम में फंसने की वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो जाने से मौत हो गई, जबकि तीसरे शख्स की भी जाम की वजह से हुई घबराहट में दम घुटने से मौत हो गई थी। कई घंटों के बाद जाम खुला, लेकिन आज भी यहां लगातार जाम की स्थिति बनी रहती है।
भाजपा अध्यक्ष के जश्न में फिर फंसी एम्बुलेंस : कुछ दिन पहले 3 मौतें। अब फिर शहर में वही जाम का मंजर। शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन कोई जिम्मेदार सुध नहीं ले रहा है। कुछ ही दिन पहले इंदौर में ट्रैफिक जाम के कारण एक एम्बुलेंस में फंसे मरीज की मौत का दर्दनाक मामला सामने आया था। सोमवार की शाम राजीव गांधी चौराहा पर एक बार फिर ऐसा ही भयावह मंजर देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) मध्य प्रदेश के नवनियुक्त अध्यक्ष के स्वागत समारोह के चलते लगे भीषण जाम में एक एम्बुलेंस लगभग 10 से 20 मिनट तक फंसी रही, जिससे एक बार फिर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था और आपातकालीन सेवाओं तक पहुंच पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
जाम से जूझ रहे लोग, पुलिस गायब : शहर में हर दिन जाम लग रहा है और ट्रैफिक पुलिस जाम वाली जगह पर कभी भी नजर नहीं आती। नेताओं की रैलियां और कार्यक्रम इन परेशानियों में और भी आग में घी डालने का काम करते हैं। कलेक्टर खुद कह चुके हैं कि पुलिस अब ट्रैफिक चालान नहीं काटेगी बल्कि ट्रैफिक जाम खुलवाने पर ध्यान देगी लेकिन इसके बावजूद भी जाम वाली जगहों पर पुलिस नदारद ही है।
कहां कहां लोग हो रहे परेशान : रालामंडल, बंगाली चौराहा, रेलवे स्टेशन, फिनिक्स मॉल बायपास, पालदा, देवास नाका, खंडवा रोड सांवेर और उज्जैन रोड जैसे इलाकों में लगातार जाम लग रहे हैं।
यहां कब मिलेगी जाम से निजात : बता दें कि इंदौर देवास रोड पर पिछले एक महीने से जाम की स्थिति बन रही है। इसे लेकर आसपास के किसान और रहवासी लगातार आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन अब तक न तो कोई नेता और न ही कोई अधिकारी सुध लेने पहुंचा। इसी का नतीजा है कि शुक्रवार को जाम में फंसकर 3 लोगों की मौत हो गई। इस जाम में एक भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। न कोई पुलिस विभाग का कोई अफसर अधिकारी नजर आया। आम आदमी जिस प्रशासन के भरोसे घर के बाहर निकलता है, वो किसी तरह की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। अभी भी इन हादसों और मौतों को लेकर प्रशासन सिर्फ बैठक बैठक खेल रहा है, ऐसे में आम जनता को कि सिर्फ भगवान के भरोसे खुद को छोड देना चाहिए।
अतुल शेठ की याचिका पर नजर आईं फ्लाईओवर की खामियां : इंदौर के याचिकाकर्ता और पेशे से चार्टर्ड इंजीनियर अतुल शेठ ने एक जनहित याचिका बंगाली चौराहे पर बनाए जा रहे फ्लाईओवर की निर्माण को लेकर उसके खिलाफ दायर की थी। उनका कहना था कि इस योजना में तकनीकी खामियां हैं, जो भविष्य में गंभीर सड़क हादसों का कारण बन सकती हैं। विशेषकर, 'ब्लाइंड स्पॉट' के कारण वाहनों की दृश्यता बाधित होगी। साथ ही प्रस्तावित डिज़ाइन में इंदौर मेट्रो परियोजना के विस्तार को लेकर भी कोई समुचित प्रावधान नहीं किया गया था। मुख्य सचिव ने यह माना कि याचिकाकर्ता ने जिन पहलुओं की ओर ध्यान दिलाया, वे सार्वजनिक संरचना की सुरक्षा और दीर्घकालिक उपयोगिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। बता दें कि हाल ही में भोपाल में एक ब्रिज के निर्माण में सामने आई खामियों के बाद इस तरह की याचिकाएं लगाई जा रही हैं। जिसमें निर्माण के दौरान इंजीनियर इस तरह की तकनीकी खामियों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
Edited By: Navin Rangiyal