इंदौर। ब्रेन हैमरेज के बाद दिमागी रूप से मृत घोषित 58 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन के अंगदान से आज यहां तीन जरूरतमंद मरीजों को नई जिंदगी मिलने की राह आसान हो गई। जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि द्वारकापुरी निवासी लालचंद किंगरानी (58) को 10 मार्च को ब्रेन हैमरेज के बाद चोइथराम हॉस्पिटल में अचेत अवस्था में लाया गया था।
लगातार इलाज के बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और डॉक्टरों ने जांच के बाद आज उन्हें दिमागी रूप में मृत घोषित कर दिया। वह पेशे से इलेक्ट्रीशियन थे। उन्होंने बताया कि किंगरानी के परिजनों को प्रेरित किया गया, तो वे शोक में डूबे होने के बावजूद अपने दिवंगत स्वजन के अंगदान के लिए राजी हो गए।
सरकारी अधिकारी ने बताया बुजुर्ग के मृत शरीर से निकाले गए लीवर का चोइथराम हॉस्पिटल में ही एक जरूरतमंद रोगी के शरीर में प्रत्यारोपण किया गया। उनकी दो किडनी शहर के दो अन्य निजी अस्पतालों में मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित की गईं। इन किडनी को मरीजों तक तेज गति से पहुंचाने के लिए संबंधित अस्पतालों के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया।
ग्रीन कॉरिडोर बनाने से तात्पर्य सड़कों पर यातायात को इस तरह व्यवस्थित करने से है कि अंगदान से मिले अंगों को एम्बुलेंस के जरिए कम से कम समय में जरूरतमंद मरीज तक पहुंचाया जा सके। इंदौर में पिछले 29 महीने में दिमागी रूप से मृत 31 मरीजों का अंगदान हो चुका है।
इससे मिले दिल, लीवर, किडनी, आँखों और त्वचा के प्रत्यारोपण से मध्यप्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में करीब 200 जरूरमंद मरीजों को नए जीवन की अनमोल सौगात मिली है। दूसरे सूबों में हवाई मार्ग से अंग पहुंचाए गए हैं।