इन्दौर। इन्दौर मेरा महबूब शहर है। 'इन्दौर के सितारे' के ज़रिए अब तक जिन शख्सियतों को इस दस्तावेज़ का हिस्सा बनाया गया है, वे इस शहर को अपने हुनर से परवाज़ देते हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि एक दिन इस किताब में शामिल सितारों की दमक और चमक आसमान में मौजूद सितारों से ज़्यादा हो।
ये विचार जानेमाने शायर डॉ. राहत इन्दौरी ने वरिष्ठ पत्रकार रमण रावल की किताब 'इन्दौर के सितारे' के तीसरे संस्करण के लोकार्पण की बेला में कही। राहत इन्दौरी ने मुख़्तसर में अपनी बात रखते हुए रावल के रचना कर्म के बारे में कहा कि वे व्यक्ति की सकारात्मकता को रेखांकित करते हैं, जो कि सराहनीय है।
रमण रावल ने इससे पहले के दो भागों में 86 लोगों के संघर्ष की दास्तां प्रस्तुत की थी। तीसरे संस्करण में 37 लोगों का जिक्र किया गया है। अपने पिछले कार्यक्रमों की तरह इस बार भी लोकार्पण के आयोजन को उन्होंने औपचारिकताओं से दूर रखा। लंबे, उबाऊ भाषण, स्वागत का लंबा सिलसिला और बेवजह की रस्मों को दरकिनार कर किताब पर चर्चा के लिए सीधे कमान पत्रकार प्रकाश हिंदुस्तानी के हाथ में दे दी।
उन्होंने एक-एक कर 37 सितारों के बारे में सार रूप में चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोई भी शहर केवल उसके इतिहास के कारण नहीं होता। कोई भी शहर उसकी सड़कों, मॉल, बाजार, भवन और वहां के कारोबार के कारण नहीं होता। कोई भी शहर बनता है वहां के लोगों से। अगर आप समझते हैं कि इन्दौर केवल पोहा-जलेबी का शहर है, इन्दौर केवल कचोरी और मालपुए का शहर है, पेटिस और हॉट डॉग का शहर है तो शायद आप गलत हैं। इन्दौर शहर है यहां के करीब लाखों लोगों से और इन्दौर है उन लोगों के जैसा। यह हमें पता चलता है रमण रावल की किताब इन्दौर के सितारे भाग-3 से।
उन्होंने कहा कि रमणजी ने बड़ी विनम्रता से इस किताब की भूमिका में यह भी लिखा है कि यहां मेरी भूमिका केवल डाकिए की है। सितारों के अवदान को किताब के रूप में मैं प्रस्तुत नहीं करता तो कोई और भी करता। इस मौके पर रावल के साथ किताब के प्रकाशन से जुड़े करीब दस सहयोगियों को राहत इंदौरी व रेखा रावल के हाथों उपहार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि प्रो. राजीव शर्मा ने किया।