सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह के दूसरे दिन 'विकसित भारत हेतु सस्टेनेबल लिविंग' विषय पर व्याख्यान
आदिवासी महिलाओं के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकुरों के प्रयोग का प्रशिक्षण
पीएम केंद्रीय विद्यालय भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 'संदीपनी सेमिनार हॉल' में पद्मश्री पुरस्कार से विभूषित परम विदुषी डॉक्टर जनक पलटा के पति जिम्मी मगिलिगन की याद में सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह के दूसरे दिन 'विकसित भारत हेतु सस्टेनेबल लिविंग' विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें महराष्ट्र के ख्यात सोलर इंजीनयर डॉक्टर अजय चांडक भी वक्ता थे।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने संबोधन में डॉक्टर जनक पलटा ने बताया कि कैसे अपने जीवन के 3 साल उन्होंने प्रकृति प्रेम, आदिवासी महिलाओं के सामाजिक सम्मान तथा समाज को जाग्रत करने में लगाए। दीदी ने कहा कि समाज सेवा को वह ईश्वरीय सेवा के रूप में करती है आदिवासी महिलाओं के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकुरों के प्रयोग का प्रशिक्षण देकर उनके जीवन में चूल्हे पर उत्पन्न होने वाले धुएं से उन्हें मुक्ति दिलाने का कार्य दीदी में किया है। उनका कहना है कि भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों से विश्व के कल्याण के लिए समस्त प्रनिओय से सद्भावना से रहना, स्वदेशी ज्ञान, कला, संस्कृति और प्रकृति का संरक्ष्ण करना हमारा परम धर्म है।
उनके अनुसार, 'सूरज असीमित रोशनी दे रहा है और उसकी ऊर्जा का दोहन न करना स्मार्ट होना नहीं है।'' सूर्य से उर्जा लेना उतना ही सरल है जितना उसे देखना।' ये सिर्फ उनके शब्द नहीं हैं, बल्कि वह साल के लगभग 300 दिनों तक अपना भोजन सौर ऊर्जा से पकाकर जीवन जीती हैं, शेष 65 दिनों में ब्रिकेट का उपयोग करती हैं। उनके यहां एलपीजी गैस सिलेंडर 2 साल 4 महीने में बदलता है उनके पास कभी भी एयरकंडीशनिंग या वॉशिंग मशीन नहीं है, कपड़े प्रेस नहीं करती, फ्रिज भी उपयोग नहीं करती, वह स्वदेशी बीजों को बचाने, खाद बनाने को उत्साहपूर्वक बढ़ावा देती हैं।
जल संरक्षण, वृक्षारोपण, अपशिष्ट मुक्त जीवन, जैविक भोजन, सौर खाद्य प्रसंस्करण, कैंसर रोगियों के लिए काम करता है और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के अनुसंधान और प्रचार को जारी रखता है। वह बाज़ार से केवल चार वस्तुएं खरीदती है अर्थात् चाय पत्ती, नमक और गुड वह कचरा नहीं पैदा करती, प्लास्टिक या रसायनों का उपयोग नहीं करती, वह उसे अपने साथ रखती है घर में कचरा दान भी नहीं है।
कार्यक्रम के वक्ता प्रोफेसर डॉ अजय चांडक द्वारा विस्तृत रूप में यह बताया गया कि कैसे सोलर एनर्जी पर न केवल भारत में अपितु विदेशों में कई देशों में उनके द्वारा कार्य किया जा रहा है तथा कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ती हुई मात्रा को नियंत्रित करने में सोलर एनर्जी से चलने वाले उपकरण कैसे समाज को एक नई दिशा और दशा प्रदान करेंगे इस विषय पर प्रकाश डाला गया अंत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इंदौर की तरफ में में डॉदेबायन सरकार ने बताया कि 'तितली' प्रयोजना के माध्यम से कैसे भा.प्रौ.सं. इंदौर ग्रामीण विकास के कार्यों को विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर चला रहे है।
इस व्याख्यान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास एस जोशी, प्रोफेसर संदीप चौधरी केंद्रीय विद्यालय की प्राचार्य नीलम मालवीय, केंद्रीय विद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा विज्ञान जगत के कई विद्वानों ने शिरकत की। इस कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर सुहास एस जोशी निदेशक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर के द्वारा दोनों अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया तथा कार्यक्रम के अंत में एस.पी. होता रजिस्टरद्वारा सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापत किया गया। कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय विद्यालय की छात्रा किंजल राय तथा शिवांशी लक्ष्मी द्वारा किया गया।