इंदौर। संस्कृति के सभी अंगों, विधाओं का स्वरूप जिसमें से व्यक्त होता है वह माध्यम ही भाषा है। गांव-शहर को शासन सुविधाएं मुहैया कर सकती है लेकिन संस्कार देने का काम सिर्फ साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी करता है। विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली प्रतिभाओं का अभिनंदन, हौसला अफजाई करना प्रशंसनीय कार्य है। यह हमारे सुसंस्कृत होने ही लक्षण हैं, प्रमाण हैं।
ये विचार साहित्यकार, विचारक डॉ. शशिकांत सावंत ने स्व. सरवटे व झोकरकर ने मराठी भाषा रक्षण समिति और लोकमान्य नगर निवासी मंडल द्वारा मंगल भवन में आयोजित साहित्य समारोह के उद्घाटन में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।
कार्यक्रम में 80 वर्ष पूर्ण कर चुके सृजनशील रचनाकार सुशीला कुलकर्णी, लतिका खानवलकर, डॉ. विजया भुसारी तथा श्याम खरे का विशेष सम्मान किया गया। इस वर्ष का सरवटे पुरस्कार डॉ. सावंत एवं राजकवि झोकरकर पुरस्कार कवयित्री सुशीला कुलकर्णी को प्रदान किया गया। 25 कृतिशील लेखक-लेखिकाओं को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध इतिहासविद डॉ. शरद पगारे ने की। विशेष अतिथि वरिष्ठ पत्रकार सुभाष रानडे थे।
अतिथि और प्रतिभाओं का परिचय अनिलकुमार धड़वईवाले ने प्रस्तुत किया। संचालन मंजूषा जोहरी ने तथा