पूरे देश में अनेक तरह की हिन्दी बोली जाने लगी है। बात यदि दुनिया की की जाए तो करीब सात प्रकार की हिन्दी इस समय चलन में है। यह कहना था प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित (चिंतक-साहित्यकार, लखनऊ) का। वे मंगलवार को श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में हुए आयोजन में बतौर वक्ता मौजूद थे। उन्होंने हिन्दी के मानकीकरण पर संबोधित किया। श्री दीक्षित ने कहा कि संगोष्ठियों में व्याकरण के बारे में समझाना किसी के लिए भी कठिन हो सकता है। इस तरह के प्रयास विस्तृत रूप से किए जाने की जरूरत है।
गौरतलब है कि समिति अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रही है। इसके अंतर्गत निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में यह आयोजन किया गया। राकेश शर्मा (साहित्यकार) ने कहा कि हिन्दी के विकास को लेकर साहित्य जगत हमेशा ही जागरूक रहा है। संस्था के माध्यम से सतत् यह प्रयास किए जा रहे हैं कि हिन्दी के मानकीकरण पर कुछ कार्य किए जाएँ तथा इसे भारत सरकार तक भी पहुँचाया जाए, जिससे हिन्दी का प्रचार-प्रसार देश ही नहीं वरन् विदेशों में भी किया जा सके। संचालन हरेराम बाजपेई ने किया। इस अवसर पर शिक्षकगण के साथ ही भाषा अधिकारी भी मौजूद थे।
फोटो श्री प्रवीण बरनाले जी देंगे। जून 7