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ऑस्कर विजेता 'स्माइल पिंकी'

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हमें फॉलो करें ऑस्कर विजेता स्माइल पिंकी
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हिन्दी और भोजपुरी में बनी ३९ मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को अमेरिका की मेगन मिलान ने निर्देशित किया है। यह लघु वृत्तचित्र ऐसे बच्चों की कहानी है जो क्लेफ्ट लिप (कटे होंठ) से पीड़ित हैं यानी जिनके होंठ जन्म से कटे हुए हैं।

"स्माइल पिंकी" के केंद्र में है सात साल की बच्ची पिंकी जो इसके कारण हँसना, हँसाना कबका भूल चुकी थी। वह भी कटे होंठ की शिकार थी, उसका ओंठ पैदायशी कटा हुआ था। इस विकृति के कारण उसे समाज में, अपने गाँव में और स्कूल में उपहास का केंद्र बनना पड़ा और सामाजिक तिरस्कार झेलना पड़ा। लेकिन फिर पिंकी को एक चिकित्सा शिविर में जाने का मौका मिलता है और ऑपरेशन के बाद उसकी जिंदगी बदल जाती है। निर्देशक मेगन मिलान ने इस बच्ची की जिंदगी के इसी हिस्से को कैमरे में कैद किया है।

जब मुस्कुराई पिंक
निर्देशक मेगन मिलान ने पहले पिंकी के जीवन के उस हिस्से को शूट किया जब उसका ओंठ कटा हुआ था और लोग उसे उपेक्षा भरी नजरों से देखते थे। जब पाँच महीने बाद मेगन दोबारा लौटी तो उन्होंने देखा कि कैसे दुबकी सहमी पिंकी अब हँसती और खिलखिलाती पिंकी में बदल गई है। स्कूल ड्रेस पहनकर स्कूल जा रही है। यही है वृत्तचित्र स्माइल पिंकी जिसे ऑस्कर में अवॉर्ड मिला है।

इस बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए पिंकी के डॉक्टर सुबोधसिंह कहते हैं कि गर्भावस्था के चौथे से १२वें सप्ताह के अंदर होंठ और तालू का विकास होता है। इस दौरान यदि किसी वजह से विकास नहीं हो पाता है तो होंठ या तालू कटे रह जाते हैं। इसके कारणों को लेकर दुनियाभर में शोध चल रहा है ताकि इस विकृति को होने से ही रोका जा सके या इसकी आशंका कम हो जाए। डॉ.सिंह कहते हैं कि इसके कारण बच्चों को कई तरह के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक दबावों का सामना करना पड़ता है।

उनके मुताबिक भारत में दस लाख से ज्यादा बच्चों को तालू या कटे होंठ होने के कारण ऑपरेशन की जरूरत है और हर साल ३५ हजार बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिनके होंठ या तालू कटे होते हैं। केवल ४५ मिनट से दो घंटे के एक ऑपरेशन से इन बच्चों का जीवन बदल सकता है ... जैसा कि पिंकी का बदला। पिंकी अब पूरे गाँव की प्यारी गुड़िया हो गई है। उसके लिए फोन आते हैं तो आसपास के सब लोग इकट्ठा हो जाते हैं।

सामाजिक तिरस्कार
बडी प्यारी और मासूम बच्ची है पिंकी लेकिन होंठ कटा होने के कारण उसे बहुत चिढ़ाया जाता था। पिंकी ने स्कूल जाना शुरू भी किया था लेकिन छोडना पड़ा। उसका बाल सुलभ मन खेलना तो चाहता था लेकिन दूसरे बच्चे उसके साथ खेलते नहीं थे, वो हताश रहने लगी।

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