* आचार्य चाणक्य के अनुसार अपने परिवार में उदारता, दूसरों पर दया, दुर्जनों से दुष्टता, साधुओं से प्रेम, विद्वानों से सरलता, शत्रुओं से बहादुरी, बड़े लोगों में क्षमा, स्त्री से आवश्यकता पड़ने पर चतुरता का व्यवहार- इन कलाओं में कुशल मनुष्य सदा अपनी मर्यादा बनाए रखते हैं।