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समाज सुधारक स्वामी दयानंद

19 फरवरी : जयंती पर विशेष

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हमें फॉलो करें स्वामी दयानंद सरस्वती
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आर्य समाज के संस्थापक तथा समाज सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म सन् 1824 में एक ब्राह्मण परिवार में मुंबई में हुआ। मूलशंकर उनका बचपन का नाम था। धर्म सुधार हेतु अग्रणी रहे दयानंद सरस्वती ने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी और पाखण्ड खण्डिनी पताका फहराकर कई उल्लेखनीय कार्य किए।

वेदों का प्रचार करने के लिए उन्होंने पूरे देश का दौरा करके पंडित और विद्वानों को वेदों की महत्ता के बारे में समझाया। संस्कृत भाषा में उन्हें अगाध ज्ञान होने के कारण स्वामी जी संस्कृत को एक धाराप्रवाह बोलते थे।

उन्होंने ईसाई और मुस्लिम धर्मग्रंथों पर काफी मंथन करने के बाद अकेले ही तीन मोर्चों पर अपना संघर्ष आरंभ किया जिसमें उन्हें अपमान, कलंक और कई कष्टों को झेलना पड़ा। दयानंद के ज्ञान का कोई जवाब नहीं था। वे जो कुछ कह रहे थे, उसका उत्तर किसी भी धर्मगुरुओं के पास नहीं था।

"भारत, भारतीयों का है' यह उनके प्रमुख उद्‍गार है। स्वामी जी के नेतृत्व में ही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम क्रांति की सम्पूर्ण योजना तैयार की गई थी और वही उसके प्रमुख सूत्रधार थे। "भारत, भारतीयों का है' यह अँग्रेजों के अत्याचारी शासन से तंग आ चुके भारत में कहने का साहस भी सिर्फ दयानंद में ही था। उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से भारतवासियों को राष्ट्रीयता का उपदेश दिया और भारतीयों को देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करते रहे।

  "भारत, भारतीयों का है' यह उनके प्रमुख उद्‍गार है। स्वामी जी के नेतृत्व में ही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम क्रांति की सम्पूर्ण योजना तैयार की गई थी और वही उसके प्रमुख सूत्रधार थे।      
एक बार औपचारिक बातों के दौरान अँग्रेज सरकार द्वारा स्वामी जी के सामने एक बात रखी गई कि आप अपने व्याख्यान के प्रारंभ में जो ईश्वर की प्रार्थना करते हैं, क्या उसमें अँग्रेजी सरकार के कल्याण की भी प्रार्थना कर सकेंगे। तो स्वामी दयानंद ने बड़ी निर्भीकता के साथ जवाब दिया "मैं ऐसी किसी भी बात को स्वीकार नहीं कर सकता। मेरी यह स्पष्ट मान्यता है कि मैं अपने देशवासियों की निर्बाध प्रगति तथा हिन्दुस्तान को सम्माननीय स्थान प्रदान कराने के लिए परमात्मा के समक्ष प्रतिदिन यही प्रार्थना करता हूँ कि मेरे देशवासी विदेशी सत्ता के चुंगल से शीघ्र मुक्त हों।'

और उनके इस तीखे उत्तर से तिलमिलाई अँग्रेजी सरकार में उन्हें समाप्त करने के लिए तरह-तरह के षड्यंत्र रचे जाने लगे। स्वामी जी की देहांत सन् 1883 को दीपावली के दिन संध्या के समय हुआ।

दयानंद के लिए प्रमुख लोगों के कुछ उद्‍गार
* लोकमान्य तिलक- स्वराज्य के प्रथम संदेशवाहक स्वामी दयानंद।
* सुभाषचंद्र बोस - आधुनिक भारत का निर्माता दयानंद।
* डॉ. भगवानदास- स्वामी दयानन्द हिन्दू पुनर्जागरण के मुख्य निर्माता।
* एनी बेसेन्ट- दयानन्द पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत भारतीयों के लिए की घोषणा की।
* सरदार पटेल- भारत की स्वतंत्रता की नींव स्वामी दयानन्द ने डाली।

स्वामी दयानंद के उल्लेखनीय कार्य
* आर्य समाज के संस्थापक तथा समाज सुधारक।
* स्वामी जी ने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुन: हिंदू बनने की प्रेरणा देकर शुद्धि आंदोलन चलाया।
* स्वामी दयानंद ने हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक तथा अनेक वेदभाष्यों की रचना की।
* सन् 1886 में लाहौर में स्वामी दयानंद के अनुयायी लाला हंसराज ने दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना की थी।
* सन् 1901 में स्वामी श्रध्दानंद ने कांगड़ी में गुरुकुल विद्यालय की स्थापना की।

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